कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार (Types of Computer in Hindi)
Classification of Computer in Hindi
दोस्तों, आज के समय में कम्प्यूटर विभिन्न आकार में, अलग-अलग क्षमता के साथ उपलब्ध हैं, और जिनका उपयोग भी अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाता है। जैसे- डेस्कटॉप या पर्सनल कम्प्यूटर का उपयोग सामान्य कार्यों के लिए व सुपर कम्प्यूटर का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान व मौसम का पूर्वानुमान जैसे बड़े कार्यों के लिए किया जाता है।
कम्प्यूटर के इन्हीं गुणों के कारण कम्प्यूटर को विभिन्न कैटेगरी के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। जैसे अकार के आधार पर, कार्य के आधार पर आदि।
Classification of Computer
Various Types of Computer
कम्प्यूटर का वर्गीकरण-
- उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Purpose)
- कार्य प्रणाली के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Working System/ Working Pattern)
- आकार के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size)
उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर का वर्गीकरण-
Classification of Computer based on Purpose
उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटर को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
विशिष्ट उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer)
सामान्य उद्देश्य कम्प्यूटर (General Purpose Computer)
विशिष्ट उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer) या विशेष उद्देश्यीय कम्प्यूटर-
विशेष उद्देश्यीय कम्प्यूटर ऐसे कम्प्यूटर होते हैं जिनका निर्माण किसी एक विशेष प्रकार के कार्य को करने के लिए किया जाता है। और जिस कार्य के लिए इनका निर्माण किया जाता है उसको करने के लिए इनकी क्षमता अद्भुत होती है। और ये तीव्र गति से कार्य पूरा करते हैं।
विशिष्ट उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer) के उपयोग-
इनका उपयोग- आन्तरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, यातायात नियंत्रण (Traffic control) आदि क्षेत्रों में किया जाता है।
विशिष्ट उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer) के उदाहरण-
ऑटोमैटिक ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम
ऑटोमैटिक एयरक्राफ्ट लैंडिग सिस्टम
रेलवे टिकिट रिजर्वेशन सिस्टम आदि।
सामान्य उद्देश्य कम्प्यूटर (General Purpose Computer)-
सामान्य उद्देश्यीय कम्प्यूटर ऐसे कम्प्यूटर होते हैं जिनका निर्माण विभिन्न प्रकार के सामान्य कार्यों को करने के लिए किया जाता है। ये कम्प्यूटर किसी एक विशेष उद्देश्य के लिए नही होते बल्कि ये कम्प्यूटर तो साधारण डॉक्यूमेन्ट तैयार करने से लेकर, मौसम के पूर्वानुमान तक के कार्यों को सम्पन्न करने में मदद करते हैं। इसी कारण इनका प्रयोग लगभग सभी क्षेत्रों जैसे कि- शिक्षा, बैंक, व्यापार, संचार, मनोरंजन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्रकाशन, विज्ञान आदि में किया जाता है।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण- पर्सनल कम्प्यूटर या डेस्कटॉप कम्प्यूटर है जो हम घरों में उपयोग करते हैं।
उदाहरण- IBM-PC, Desktop, Laptop, Tablet आदि।
सामान्य उद्देश्य कम्प्यूटर (General Purpose Computer) के उपयोग-
- डॉक्यूमेन्ट तैयार करना, उन्हें प्रिन्ट करना।
- डाटाबेस बनाना, मैथमैटिकल कैल्कुलेशन करना, फोटो बनाना।
- विडियो गेम खेलना, फिल्म देखना, गाने सुनना, ई-मेल भेजना,
- प्रजेन्टेशन तैयार करना, विडियो कॉलिंग करना, इत्यादि सारे कार्य किये जा सकते हैं जो हम अपने घर में उपयोग होने वाले पर्सनल कम्प्यूटर में कर सकते हैं। इसीलिए इस प्रकार के कम्प्यूटर बहुत ही प्रचलित हैं।
कार्य प्रणाली के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Working System/ Working Pattern)
कार्य प्रणाली के आधार पर कम्प्यूटर तीन प्रकार के होते हैं-
- एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer)
- डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
- हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer)-
ऐसे कम्प्यूटर जो भौतिक मात्राओं ( Physical Quantities) जैसे- दाब (Pressure), तापमान (Temperature), वजन (Weight), वोल्टेज (Voltage), लम्बाई (Length), गति (Speed) इत्यादि को मापकर उनके परिणाम (result) अंकों में प्रस्तुत कर दें, जिससे उपयोगकर्ता के समझ में आ सके, एनालॉग कम्प्यूटर कहलाते हैं।
इन कम्प्यूटर में विद्युत के एनालॉग रूप का प्रयोग किया जाता है जो कि डिजिटल कम्प्यूटर से बिल्कुल अलग होते हैं, व इनकी गति धीमी होती है।
एनालॉग कम्प्यूटर किसी भी राशि (Quantity) की परिमाप तुलना के आधार पर करते हैं।
इन कम्प्यूटर्स का प्रयोग मुख्य रूप से विज्ञान व इंजीनियरिंग के क्षेत्र में किया जाता है क्योंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं का प्रयोग सर्वाधिक होता है।
इस प्रकार के कर्म्प्यूटर्स शत-प्रतिशत शुद्ध परिणाम प्रस्तुत नही कर पाते हैं, केवल अनुमानित परिणाम देते हैं परन्तु इनसे लगभग् 95-99% तक शुद्ध परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
उदाहरण- वोल्टमीटर
थर्मामीटर
स्पीडोमीटर
बैरोमीटर
सीस्मोमीटर या सीस्मोग्राफ- भूकम्प मापने का यंत्र (भूकंप सूचक यंत्र)
नोट- ऊपर दिये गये उदाहरण जो कि एनालॉग कम्प्यूटर के हैं, वो अब डिजिटल रूप में भी उपलब्ध हैं, जो कि शत्-प्रतिशत शुद्ध परिणाम प्रस्तुत करते हैं।
डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)-
दोस्तों जब आज हम कम्प्यूटर की बात करते हैं तो हम इसी कम्प्यूटर के बारे में बात कर रहे हाेते है।
डिजिटल शब्द में, डिजिट का मतलब ‘अंक’ होता है।
अत: वे कम्प्यूटर जो अंको की गणना करते हैं, डिजिटल कम्प्यूटर कहलाते हैं।
हम जानते हैं कि डिजिटल कम्प्यूटर सिर्फ ऑन (1) तथा ऑफ (0) की भाषा समझता है। अत: डिजिटल कम्प्यूटर गणना के लिए केवल दो संख्या (digit) 0 तथा 1 का प्रयोग करता है, ये 0 तथा 1 को बाइनरी संख्या कहलाते हैं। एक बाइनरी संख्या बिट कहलाती है।
अत: आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटर द्विधारी संख्या पद्धति (Binary Number System) का प्रयोग करता है।
ये कम्प्यूटर सभी प्रकार के डेटा व निर्देशों को पहले बाइनरी भाषा (बाइनरी अंक), जो कि प्रत्येक डिजिटल कम्प्यूटर की अपनी भाषा होती है में बदल कर ही उन पर गणना करता है और साथ ही सभी डेटा व इन्फॉर्मेशन का संग्रहण मेमारी में इसी बाइनरी रूप में ही करता है।
उदाहरण- डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन, डिजिटल इलेक्ट्रानिक घड़ी, कैल्कुलेटर आदि।
इनकी गति बहुत तीव्र होती है ये प्रति सेकेंड लाखों/करोड़ों गणनायें कर सकते हैं। और एनालॉग कम्प्यूटर से अलग ये कम्प्यूटर शत्-प्रतिशत शुद्ध परिणाम प्रस्तुत करते हैं।
हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)-
हाइब्रिड कम्प्यूटर = एनालॉग कम्प्यूटर + डिजिटल कम्प्यूटर |
वे कम्प्यूटर , जिनमें एनालॉग एवं डिजिटल दोनों ही कम्प्यूटरों के गुण सम्मिलित हो, हाइब्रिड कम्प्यूटर कहलातें हैं।
इनमें इपनुट व आउटपुट एनालॉग रूप में हाते हैं पर डेटा व निर्देशों की प्रोसेसिंग डिजिटल रूप में होती है।
इस प्रकार के कम्प्यूटर में Input जो कि Analog form में है को Digital form में बदलने के लिए ADC (Analog Digital Converter) तथा पुन: Output को डिजिटल से एनालॉग फार्म में बदलने के लिए DAC (Digital Analog Converter) का प्रयोग होता है।
इसके लिए विशेष यंत्रों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें मॉडम (Modem) कहते हैं।
मॉडम (Modem)-
Modulator-Demodulator का संक्षिप्त रूप है। यह एनालॉग संकेतों को डिजिटल संकेतों में तथा डिजिटल संकेतों को पुन: एनालॉग संकेतों में बदलने का कार्य करता है।
हाइब्रिड कम्प्यूटर का प्रयोग चिकित्सा (Medical Science) के क्षेत्र में सर्वाधिक किया जाता है। कम्प्यूटर की एनालॉग डिवाइस किसी रोगी के लक्षणों, तापमान व ब्लडप्रेसर (रक्तचाप) आदि को नापती है, तथा इन मापों को बाद में इस कम्प्यूटर के डिजिटल भाग द्वारा अंकों में बदलकर परिणाम को प्रस्तुत किया जाता है।
इस प्रकार से रोगी के स्वास्थ्य में हो रहे उतार-चढ़ाव का तुरन्त परीक्षण हो जाता है।
उदाहरण- ECG व Dialysis मशीन आदि।
- माउस क्या है? इसके प्रकार व इसके बटनों का उपयोग
- Input Device क्या है? इसके प्रकार व कार्य
- टेलनेट (Telnet) क्या है?
- ट्रान्सलेटर प्रोग्राम अथवा लैंग्वेज प्रोसेसर क्या होता है?
आकार के आधार पर कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size)
आकार के आधार पर कम्प्यूटर को पॉंच भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer)
- वर्कस्टेशन (Work Station)
- मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
- मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)
- सुपर कम्प्यूटर (Super Computer)
माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer)-
ये कम्प्यूटर आकार में इतने छोटे होते हैं कि इन्हें हम आसानी से अपने स्कूल या कॉलेज के बैग में, ब्रीफकेस में या घरों में टेबल के ऊपर रख सकते हैं। यहॉं तक कि अपने हाथ में भी पकड़कर कहीं भी ले जा सकते हैं। इन कम्प्यूटर्स द्वारा हम अपने जरूरत के सारे काम कर सकते हैं।
माइक्रो कम्प्यूटर में, प्रोसेसर के रूप में के माइक्रो-प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है, यही वजह है कि इन्हें माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाता है।
इन्टेल कॉरपोरेशन ने सबसे पहले माइक्रो-प्रोसेसर को बाजार मे उपलब्ध कराया।
उदाहरण:- डेस्कटॉप कम्प्यूटर, पर्सनल कम्प्यूटर, आल इन वन पीसी, लैपटॉप / नोटबुक, टैबलेट पीसी, पामटॉप या पीडीए (PDA- Personal Digital Assistance) हैं।
माइक्रो कम्प्यूटर की क्षमता 1 लाख संक्रियाऍं (Operations) प्रति सेकेण्ड होती है और इनमें सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम प्रयोग किया जाता है। मतलब इन प्रकार के कम्प्यूटरों में एक समय में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है।
तकनीक की दृष्टि से अगर हम माइक्रो कम्प्यूटर्स की तुलना बड़े कम्प्यूटर्स (जैसे- मिनी कम्प्यूटर, मेनफ्रेम कम्प्यूटर या सुपर कम्प्यूटर से) से करें तो ये सबसे कम कार्यक्षमता वाले कम्प्यूटर होतें हैं इसके बावजूद भी ये हमारे सारे कार्यों के लिए पर्याप्त होते हैं।
आज के समय में माइक्रो कम्प्यूटर काफी प्रचलित है और छोटे-बड़े सभी संस्थाओं व घरों में इनका उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
विभिन्न कम्पनियां जो माइक्रो कम्प्यूटर को बाजार में बेचतीं हैं- IBM, Dell, Samsung, HP, Lenovo, Apple, Acer, Asus, Compaq आदि।
विभिन्न प्रकार के माइक्रो कम्प्यूटर
Types of Micro-Computer in Hindi
विभिन्न प्रकार के माइक्रो कम्प्यूटर निम्नलिखित हैं-
पामटॉप या पीडीए (PDA- Personal Digital Assistance)
वर्कस्टेशन (Workstation)-
वर्कस्टेशन आकार में डेस्कटॉप कम्प्यूटर के जैसे ही होते हैं, लेकिन ये कम्प्यूटर, डेस्कटॉप कम्प्यूटर की तुलना में काफी शक्तिशाली होते हैं। इनका प्रयोग जटिल कार्यों के लिए किया जाता है। इनकी मेमोरी की क्षमता व मल्टीटॉस्किंग क्षमता पर्सनल कम्प्यूटर की तुलना में कॉफी बेहतर होती है। साथ इनका CPU भी ज्यादा शक्तिशाली होती है।
इनमें ग्राफिक्स जैसे- 3D, Animation, Photo editing, Video editing, Video gaming आदि के लिए एक अलग से प्रोसेसर लगा रहता है, जिसे GPU (Graphics Processing Unit) कहतें हैं। जो कि ग्राफिक्स से सम्बन्धित सारे कार्यों को perform करता है। जिससे हमारे मुख्य CPU में ज्यादा लोड नही आता है। और कम्प्यूटर हैंग नहीं करता है।
अक्सर Work-Station Computer ग्राफिक्स के काम को करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। साथ ही अधिकांशत: ये LAN (Local Area Network) में सर्वर (Server) बनाने के लिए भी प्रयुक्त किये जाते हैं। इसके अलावा ये मेनफ्रेम कम्प्यूटर के लिए टर्मिनल या क्लाइटं कम्प्यूटर का भी कार्य करते हैं।
वर्कस्टेशन में सामान्य: रिस्क प्रोसेसर (RISK- Reduced Instruction Set Computer) का प्रयोग किया जाता है। जैसे- Am29000, ARM, MIPS, SPARC, ALPHA आदि।
अधिकांशत: Workstation का प्रयोग वैज्ञानिकों, अभियंताओं तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा प्रयोगशालाओं आदि में होता है।
Workstation में भी केवल एक ही user एक समय में कार्य कर सकता है। अर्थात् Single user operating system का प्रयोग होता हैं, लेकिन multi-tasking होता है।
वर्कस्टेशन (Workstation) बनाने वाली कम्पनियाँ- HP, Dell, Apple, IBM, Lenovo आदि।
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)-
मिनी कम्प्यूटर को केवल मिनी भी कहतें हैं। ये एक Multi user system होता है, मतलब इसमें एक साथ कई लोग (multi user) काम कर सकते हैं। इस कम्प्यूटर के मुख्य भाग को एक बिल्डिंग में रख दिया जाता है, एवं उसके साथ कई टर्मिनल (क्लाइन्ट कम्प्यूटर) को जोड़ दिया जाता है। सामान्यत: एक मिनी कम्प्यूटर के साथ अलग-अलग आठ users एक साथ काम कर सकते हैं।
यदि इन कम्प्यूटर के आकार की बात करें तो इनका आकार लगभग् माइक्रो कम्प्यूटर के बराबर ही होता है। पर इनकी कार्य करने की क्षमता माइक्रो कम्प्यूटर की तुलना में बहुत अधिक होती हे। प्राय: मिनी कम्प्यूटर्स का प्रयोग व्यापार (Business), बैंकों, फैक्ट्रियों, बीमा कम्पनियों आदि में हिसाब-किताब (records) को व्यवस्थित रूप से रखने जैसे अनेकों कार्यो के लिये किया जाता है।
इन कम्प्यूटर्स के अन्दर एक से ज्यादा CPU (Central Processing Unit) होते हैं। साथ ही स्टोरेज कैपैसिटी, गति व कार्य क्षमता माइक्रो कम्प्यूटर्स की अपेक्षा अधिक होती है, पर मेनफ्रेम कम्प्यूटर की तुलना में कम होती है।
उदाहरण- HP 9000, RISC 6000, AS 400, Apple Mac mini आदि।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)-
मेनफ्रेम कम्प्यूटर एक शक्तिशाली कम्प्यूटर होते हैं। इनकाआकार व कार्य क्षमता mini व micro computer दोनो से ज्यादा होती है।
इन कम्प्यूटर में हजारों माइक्रो-प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है, जिससे इनकी डेटा प्रोसेस करने की गति अत्यन्त तीव्र होती है।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर की आन्तरिक संग्रहण क्षमता (Internal Storage Capacity) भी काफी उच्च होती है। यही कारण है कि ज्यादातर इनका प्रयोग नेटवर्किंग में किया जाता है।
नेटवर्किंग में इनका प्रयोग सर्वर (Server) बनाने में किया जाता है। इन सर्वर से कई टर्मिनल या क्लाइन्ट कम्प्यूटर जुड़े होते हैं, तथा इन टर्मिनल या क्लाइन्ट कम्प्यूटर को दूर या पास कहीं भी रखा जा सकता है। अर्थात् मेनफ्रेम कम्प्यूटर का प्रयोग करके LAN व WAN दोनों का निर्माण किया जा सकता है।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर में माइक्रो कम्प्यूटर को क्लाइन्ट कम्प्यूटर के रूप में जोड़ा जा सकता है।
इन कम्प्यूटरों पर एक साथ एक से अधिक लोग (multi-user) विभिन्न कार्य कर सकते हैं। इसके लिए इनमें multi user Operating System या Server Operating System को इन्सटाल (Install) किया जाता है। ये 24*7 कार्य करते हैं।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर से जोड़े जाने वाले client computer या terminals एवं अन्य पेरीफेरल डिवाइस जैसे- प्रिन्टर, मेमोरी, आदि आवश्यकता के अनुसार घटाये व बढ़ाये जा सकते हैं।
इनका उपयोग अधिकतर बड़ी कम्पनियॉं, बैंक, बीमा कम्पनी अथवा सरकारी विभाग एक केन्द्रीय कम्प्यूटर (केन्द्रीय डेटाबेस) के रूप में करते हैं।
अगर कीमत की बात करें तो ये माइक्रो कम्प्यूटर व मिनी कम्प्यूटर दोनों से काफी महंगे होते हैं।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर के उदाहरण-
IBM-370, IBM-S/390, IBM-4381, CDC Cyber Series के कम्प्यूटर्स, ICL 39 Series, यूनिभैक-1110 (UNIVAC- Universal Automatic Computer) इत्यादि।
सुपर कम्प्यूटर-
सुपर कम्प्यूटर क्या है?
सुपर कम्प्यूटर्स अब तक के सबसे ज्यादा शक्तिशाली कम्प्यूटर हैं। इसकी संग्रहण क्षमता व गति (speed) अत्यधिक तीव्र होती है। इनमें हजारों माइक्रोप्रोसैसर का इस्तेमाल होता है।
इसमें अनेक CPU (Central Processing Unit) समानान्तर क्रम में कार्य करते हैं जिसे Parallel Processing (समानान्तर प्रक्रिया) कहतें हैं। इसका मतलब हैं कि Super Computer में multi-processing तथा parallel processing (समानान्तर प्रोसेसिंग) का इस्तेमाल किया जाता है।
इनका प्रयोग जटिल व उच्च कोटि की गणनाओं व प्रक्रियाओं को perform करवाने के लिए किया जाता है।
अगर कीमत की बात करें तो ये सबसे महंगे कम्प्यूटर होते हैं, इनकी कीमत अरबों में होती है। और ये व्यक्तिगत रूप से नही खरीदे जा सकते हैं।
आकार में ये लगभग् एक कमरे के बराबर या उससे भी कई गुना बड़े होते हैं।
इन कम्प्यूटर्स में कई ALU (Arithmetic Logic Unit) होते हैं जिसमें प्रत्येक ALU के लिए एक निश्चित कार्य का निर्धारण होता है तथा ये सभी ALU एक साथ सामान्तर प्रक्रिया में काम करते हैं।
उदाहरण- Cray-1,Cray-2, Cray-XMP-24, PARAM-10000, PARAM ISHAN, PARAM SIDDHI-AI, PRATYUSH, MIHIR, Titan, NEC 500 (NEC जापान की कम्पनी है जिसने विश्व का सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर बनाया है।)
विश्व का पहला सुपर कम्प्यूटर क्रे-1 (Cray-1) है, जिसे अमेरिका की क्रे रिसर्च कम्पनी ने सन् 1976 में बनाया था।
भारत का पहला स्वदेशी सुपर कम्प्यूटर परम-8000 है, जिसे सी-डैक (C-DAC= Centre For Development of Advanced Computing) द्वारा 1991 में बनाया था।
सुपर कम्प्यूटर के उपयोग
Use of Super Computer in Hindi
सुपर कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है:-
- मौसम का पूर्वानुमान या भविष्यवाणी करने में।
- बड़ी शोध व खोज करने के लिये प्रयोगशालाओं में।
- अच्छी क्वालिटी के एनीमेशन व ग्राफिक्स को तैयार करने में।
- आन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजने के लिये।
- परमाणु अनुसंधान में।
- तेल व खनिजों की खोज में।
- जटिल व उच्च कोटि की गणनाओं व प्रक्रियाओं को सम्पन्न कराने में।
- बायो-मेडिकल अनुसंधान में।
- वायुयान (एयरक्राफ्ट) के डिजाइन व निर्माण में।
- रिमोट सेन्सिगं में।
- तथा विज्ञान व तकनीकी के अन्य क्षेत्रों में।
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