कम्प्यू्टर वायरस क्या है और इसके प्रकार – What is Computer Virus in Hindi

डिजिटल युग की सबसे बड़ी चुनौती आज के समय में computer virus (कंप्यूटर वायरस) ही हैं जिससे हम सभी को सावधान रहना आवश्यक है। यह एक छोटा सा प्रोग्राम होता है जो अनचाहे रूप से कंप्यूटर या डिजिटल उपकरण में प्रवेश करता है। यह आपके डेटा और जानकारी को नुकसान पहुँचा सकता है और उन्हें चोरी भी कर सकता है।

ये वायरस न केवल हमारे कंप्यूटर और डिवाइसों को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारी निजी जानकारी को भी संकट में डाल सकते हैं। साइबर क्रिमिनल्स विभिन्न प्रकार के वायरस डेवलप करते हैं जो हमारे डेटा, पासवर्ड, वित्तीय जानकारी आदि को चोरी कर सकते हैं और हमारी ऑनलाइन सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।

इसलिए, हमें सुरक्षित ऑनलाइन रहने के लिए उपयुक्त सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है जैसे कि- अपडेटेड एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना, ईमेल या अन्य संदेश प्राप्त करते समय सतर्क रहना, और ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जागरूक रहना। इस चुनौती के साथ, हमें एकजुट होकर साइबर सुरक्षा की दिशा में अधिक संवेदनशील होना भी महत्वपूर्ण है।

तो आगे विस्तार से समझते हैं कि कम्प्यूटर वायरस क्या होते हैं, इनके कौन-कौन से प्रकार होते हैं, कैसे ये अपने निर्धारित कार्य को अंजाम देते हैं, और इनसे अपने कम्प्यूटर को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है –

कम्प्यूटर वायरस क्या होता है? – What is Computer virus?

Computer virus एक ऐसा हानिकारक कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है जिसका निर्माण उपयोगकर्ता के कम्प्यूटर को नुकसान पहुँचाने और गोपनीय व महत्वपूर्ण जानकारी चुराने या नष्ट करने के लिए किया जाता है।

प्रोग्रामर (निर्माता) द्वारा बनाए गए ये  computer virus उतना ही कार्य करते हैं जितने के लिए इन्हें निर्देशित किया जाता है।


Full form of Computer virus

Virus का पूरा नाम – वाइटल इन्फोरमेशन रिसोर्स अन्डर सीज
Full form of Computer virus – Vital Information Resources under Siege

ये computer virus उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना उसके computer system में प्रवेश पा लेते हैं और जिस भी उद्देश्य के लिए डिजाइन किए गए हैं उन कार्यों को पूरा करने लगते हैं।


कंप्यूटर वायरस के जनक (Father of Computer Virus) –

कंप्यूटर वायरस के जनक जॉन वॉन न्यूमैन (John Von Neumann) हैं, ये एक महान गणितज्ञ थे जिन्होंने 1949 में, पहले computer virus का निर्माण किया, जिसे सेल्फ रेप्लिकेटिंग प्रोग्राम (self replicating program) कहा जाता है। मतलब यह virus program खुद ही अपने आप computer के अन्दर बढ़ता रहता है।


दुनिया का पहला कम्प्यूटर वायरस –

दुनिया का सबसे पहला कंप्यूटर वायरस – क्रीपर (creeper) को माना जाता है जिसे बोब थॉमस (Bob Thomas) नामक एक अमेरिकी इंजीनियर न बनाया था।


Function of Computer Virusकम्प्यूटर वायरस के कार्य

Computer virus क्या-क्या कर सकते हैं?
या
Computer virus को निर्मित करने का उद्देश्य

Virus वे सभी कार्य कर सकते हैं जिन नकारात्मत उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रोग्रामर द्वारा इन्हें निर्देशित किया गया हो –

जैसे –

  • Data/file/information को बदलना या नष्ट करना।
  • Operating system (Windows, Android, Linux) की क्षमता या गति को कम करना।
  • निजी जानकारी की चोरी करना।
  • Online धोखाधड़ी करना।
  • स्क्रीन पर गलत सूचनाऍं प्रदर्शित करना।
  • नेटवर्क और इन्टरनेट की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करना।
  • Data/Information आदि share करने से रोक देना।
  • Files व software का execution रोक देना।
  • Files के आकार (size) में परिवर्तित करना।
  • अनुपयोगी files का निर्माण करना।
  • Application software को अपना कार्य न करने देना।
  • Storage device जैसे – Hard disk आदि को format कर देना।
  • पूरे computer system को कार्य ना करने देना।
  • ये virus खुद की कई प्रतिलिपि (duplicate) बना के computer की पूरी memory को full कर देते हैं।
  • सम्पूर्ण computer system या network का control अपने निर्माता को दे देना।
  • कम्प्यूटर की सुरक्षा व्यवस्था को खतरे में डाल देते हैं।

कम्प्यूटर वायरस के प्रकार / Types of Computer Virus

अपने कार्य व प्रकृति के आधार पर computer virus कई प्रकार के होते हैं जो कम्प्यूटर सिस्टम पर नकारात्मत प्रभाव डालते हैं  कुछ प्रमुख computer virus के प्रकार निम्नलिखित हैं –

रैंसमवेयर – यह एक ऐसा वायरस है जो उपयोगकर्ता के कम्प्यूटर सिस्टम में प्रवेश करके महत्वपूर्ण files व data को एन्क्रिप्ट कर देता है और उपयोगकर्ता को उन  files व data को access करने से रोक देता है, फिर एक रैंसम नोट प्रदर्शित करता है जिसमें एक फिरौती की रकम (ransom money) मांगी जाती है। एन्क्रिप्ट की गई  files को डिक्रिप्ट या रिलीज करने के लिए ताकि आप अपनी files व data को वापस प्राप्त कर सकें।

स्पाईवेयर (Spyware) – स्पाईवेयर आपके सिस्टम में गुप्त रूप से स्थापित होता है और आपकी गतिविधियों की निगरानी (जासूसी) करता है। इसका मुख्य उद्देश्य आपकी निजी जानकारी जैसे- पासवर्ड, बैंक विवरण (bank details), emails, user name तथा महत्वपूर्ण डेटा आदि को चोरी करना होता है।

बूट सेक्टर वायरस – यह virus कम्प्यूटर के hard disk के बूट सेक्टर में स्थापित होता है और इसका प्रभाव computer को start (on) करने पर होता है। जैसे ही computer को on करते हैं यह virus सक्रिय हो जाता है। इन वायरसों के कारण computer बूट नहीं हो पाता अर्थात computer शुरू ही नही हो पाता है या यह virus कम्प्यूटर को शुरू करते ही अनुमति प्रप्त करने की कोशिश करता है कि virus को computer system में स्थापित किया जाए।

ट्रोजन हॉर्स – ट्रोजन हॉर्स computer program या software के रूप में दिखाई देते हैं, जिसकी वजह से उपयोगकर्ता को यह भ्रम हो जाता है कि ये उपयोगी व महत्वपूर्ण program है। इन वायरसों के कारण हैकर सिस्टम पर अनाधिकृत पहुंच प्राप्त कर सकते हैं और उपयोगकर्ता की गोपनीय जानकारी को चुरा सकते हैं। इसके अलावा मनचाहे विज्ञापन दिखाना, डेटा चोरी करना, आदि कार्य भी किये जा सकते हैं।

वार्म – वार्म में replication का गुण होता है अर्थात यह खुद की प्रतिलिपि (copy) बनाकर network में फैलता है और  automatically नेटवर्क के अन्य computers को प्रभावित कर सकता है। यह network से जुड़े हुए computers की गतिविधियों को धीमा (slow) करके और संकेतों (signals, data) को नष्ट करके, एक network की performance को कम कर सकता है। साथ ही वार्म computer में संग्रहित महत्वपूर्ण files को delete करने की भी क्षमता रखता है।

सामान्यत: ये कम्प्यूटर के RAM को प्रभावित करते हैं जिसकी वजह से computer की गति कम होने लगती है और computer बार-बार हैंग होने लगता है।

रूटकिट वायरस – यह एक प्रकार का मैलवेयर होता है जो computer system के रूट लेवल पर स्थापित होता है और computer पर administration level का अधिकार प्राप्त कर लेता है। इस वायरस के द्वारा attack करने वाला व्यक्ति (hacker) उपयोगकर्ता के computer पर दूर से ही, पूरी तरह नियंत्रण (control) प्राप्त करके अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकता है।

इस  virus के द्वारा हमला करने वाला व्यक्ति users के सम्पर्ण डेटा तक पहुँच (access) प्राप्त कर सकता है, और संचालन प्राधिकरण (administrative authority) पर काबू पा सकता है, अर्थात यह virus, हैकर को पूरी तरह से computer  पर नियंत्रण प्राप्त करने की अनुमत देता है।

फाइल वायरस – ये वायरस आपके कम्प्यूटर में स्थित फाइलों को संक्रमित करते हैं। जब आप संक्रमित फाइल को खोलते हैं, तो वायरस सक्रिय हो जाता है और अपनी कार्यवाही प्रारंभ करता है। यह फाइल वायरस उपयोगकर्ता के data को delete कर सकते हैं, files में परिवर्तन कर सकते हैं या अन्य computer virus को activate कर फैला सकते हैं।

मैक्रो वायरस (Macro Virus) – एक प्रकार का कंप्यूटर वायरस होता है जो माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस सॉफ़्टवेयर (MS Office जैसे कि Word, Excel, PowerPoint) या अन्य ऑफ़िस सॉफ़्टवेयर के मैक्रो भाषा का उपयोग करके files में इंफेक्शन पैदा करता है। मैक्रो वायरस बड़े पैमाने पर ईमेल अटैचमेंट्स के द्वारा फैलता हैं। एक बार इंफेक्ट हो जाने पर, वे फ़ाइलों को बिगाड़ सकते हैं या कंप्यूटर प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर, “Melissa” एक प्रसिद्ध मैक्रो वायरस था जो 1999 में फैला था। यह वायरस इंफेक्टेड माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड डॉक्यूमेंट्स के माध्यम से फैलता था और इंफेक्ट होने के बाद, यह ईमेल अटैचमेंट्स के माध्यम से अपने आप को दूसरे अन्य उपयोगकर्ताओं को भी प्रसारित करता था।

 

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Computer Virus कम्प्यूटर सिस्टम में कैसे प्रवेश करते हैं | वायरस कैसे फैलता है?

How to enter and spread the virus into the computer system

कम्प्यूटर वायरस निम्नलिखित स्रोतों से आपके कम्प्यूटर सिस्टम में प्रवेश पाने की कोशिश करते हैं –

इन्टरनेट से (through Internet) – अविश्वसनीय वेबसाइटों, email attachments, online chat, file sharing के नियमों की अवहेलना, phishing, मैलवेयर, पॉप-अप विज्ञापन और इन्टरनेट वेबसाइटों पर अनुचित क्लिक या डाउनलोड करने के कारण computer system वायरस से संक्रमित हो सकता है।

पायरेटेड सॉफ्टवेयर से – जब कोई software, निर्माता (developer) की इजाजत के बिना copy या चोरी करके उपयोग किया जाता है तो वह पायरेटेड कहलाता है। जो कि पूर्णत: गैरकानूनी है।
ये original software के copy version होते हैं।
अधिकाशंत: ऐसे software वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और इनको install करते समय virus आपके computer system में प्रवेश कर सकते हैं।

सेकेण्ड्री स्टोरेज डिवाइस से – जब किसी  file या data को किसी अन्य secondary storage device जैसेकि- pen drive, CD, DVD, memory card आदि से copy करके अपने computer में लिया जाता है और यदि इन secondary storage device में file व data के साथ virus भी है तो वह भी copy हो जाएगा और आपके computer को संक्रमित कर देगा।

संगठनात्मक कमजोरियॉं – कम्प्यूटरों और नेटवर्कों की सुरक्षा में कमजोरियॉं होने पर virus संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसमें update न करने या पूर्वालोकन न करने के कारण सुरक्षा कमजारियॉं हो सकती हैं।

Data sharing – संगठात्मक नेटवर्क पर data, files और अन्य resources का साझा किया जाना एक साधारण कारण हो सकता है। यदि संगठन में data sharing के नियमो और सुरक्षा के नियमों में त्रुटि होती है तो एक share की गई संक्रमित फाइल या resource के माध्यम से virus प्रवेश कर सकता है।


Virus से अपने computer system को सुरक्षित रखने के उपाय –

Virus Detection and Prevention अथवा Virus Prevention and Detection technology


Virus preventer – वायरस निरोधक प्रोग्राम

Antivirus software का एक ऐसा प्रोग्राम या function जो virus को कंम्प्यूटर में प्रवेश करने से रोकता है।

Virus detector –

Antivirus software का एक ऐसा प्रोग्राम या function जो संक्रमित हो चुके computer में virus को identify करता है। सामान्यत: virus detector अथवा वायरस स्कैनर के नाम से जाने जाते हैं।

Virus remover –

Antivirus software का एक ऐसा प्रोग्राम या function जो detect या identify किये गए virus को समाप्त (remove) करता है।

ये तीनों program या function एक अच्छे श्रेणी के antivirus software में उपलब्ध होते हैं।

 

Virus Prevention and Detection technique

वायरस प्रिवेंशन वह तकनीक है जिसके द्वारा virus को computer के अन्दर जाने से रोक दिया जाता है। और वायरस डिटेक्शन के द्वारा computer में प्रवेश हो चुके virus की पहचान या जाँच की जाती है। यह कार्य antivirus का scanner program करता है जो कि memory व data /files आदि की जाँच करता है। और यह सुनिश्चित करता है कि computer virus से संक्रमित है कि नही।

Virus Detection program या scanner केवल user को यह सूचना देते हैं कि computer system वायरस से संक्रमित हैं या नही।

वायरस रिमूवर प्रोग्राम – detect या identify किए हुए virus को हटाने का कार्य करते हैं।

प्रमुख virus prevention और detection तकनीक/विधियां नि‍म्न लिखित है –

Scanning (स्कैनिंग) – स्कैनर प्रोग्राम- files, program code तथा memory आदि की जाँच करके virus संक्रमण के बारे में user को सूचना प्रदान करते हैं।

Antivirus Software – एन्टीवायर साफ्टवेयर virus की जाँच करने के लिए files, data, program code तथा memory आदि को scan करते हैं और यदि कोई virus, worm, Trojan horse या कोई भी malicious s/w – जो कि computer या device को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करते हैं, को remove करने का कार्य करते हैं।
अर्थात antivirus s/w की मदद से  virus को prevent, detect व remove  किया जा सकता है। पर इस antivirus s/w को नियमित रूप से अपडेट करते रहना चाहिए, ताकि नए virus के खतरों से computer व data की सुरक्षा की जा सके। साथ ही जब user इन्टरनेट पर किसी ऐसी website पर visit करना चाहता है जो कि असुरक्षित है या आपके सिस्टम को virus से संक्रमित कर सकती है, उस समय ये antivirus s/w यूजर को ऐसी websites में जाने से रोकता है।

Firewall (फायरवॉल) – फायरवॉल, एक software अथवा hardware हो सकता है, जो कि आपके computer अथवा local area network Internet के मध्य स्थापित किया जाता है, जो कि unauthorized users व dangerous elements जैसे कि virus आदि को आपके computer अथवा network तक पहॅुंचने से रोक देता है और आपके system को अनुचित access से सुरक्षित रखता है।

Internet security – इन्टरनेट सिक्योरिटी, जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह user को Internet का उपयोग करते समय, सभी प्रकार के attacks से सुरक्षा प्रदान करती है। साथ ही user के गोपनीय जानकारी जैसे कि – user name, password, OTP, Pin आदि को भी सुरक्षित करती है।

इन्टरनेट सिक्योरिटी में antivirus s/w, firewall, email protection, password protection तथा debit card number, credit card number, bank details जैसी आदि महत्वपूर्ण जानकारी को गोपनीय तथा सुरक्षित रखने का गुण होता है। पर यह antivirus s/w की तुलना में महँगा होता है।

Regular backup – (रेगुलर बैकअप) – Back up एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें अपने कम्प्यूटर के data को copy करके किसी दूसरे जगह स्टोर करते हैं जैसे किसी external storage device या cloud storage आदि में। नियमित रूप से data का back up लेने से फायदा यह होता है यदि आपके computer में virus का attack भी हो जाता है तब भी data पुन: प्राप्त (recover) किया जा सकता है।

Regular Update (नियमित अद्यतन) – अपने computer के OS (operating system), antivirus s/w और अन्य security feature वाले s/w को नियमित रूप से update करते रहें, साथ ही इन सभी software का नवीनतम संस्करण रखने का प्रयास करें।
नवीनतम सुरक्षा पैच और अपडेट कोड वायरसों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं।

Web security (वेब सुरक्षा) – इन्टरनेट पर सतर्क रहें और संदिग्ध या अनचाहे लिंक्स से दूर रहें। फिशिंग व मैलवेयर से होने वाले हमलों से बचें।

सर्तकता से email का उपयोग करें – अज्ञात या संदिग्ध emails को open करने से बचे और किसी unknown place  and unknown person (अज्ञात स्थान या व्यक्ति) से आने वाले email attachments को download न करें।

यदि आपका कम्प्यूटर virus से संक्रमित हो जाता है, तो उचित antivirus software के साथ स्कैन करें और संक्रमित फाइलों को हटाएं। इसके अलावा, संगठनों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को साइबर सुरक्षा सुझावों का पालन करना चाहिए ताकि वे वायरसों के हमलों से सुरक्षित रह सकें।


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