Types of Cryptography (क्रिप्टोग्राफी के प्रकार)
Keys (कुंजियों) के आधार पर क्रिप्टोग्राफी दो प्रकार की होती हैं –

- Symmetric key Cryptography (secret key Cryptography)
- Asymmetric key cryptography (Purblic key Cryptography)
Symmetric key Cryptography –
सिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफी में sender तथा receiver द्वारा एक ही key (कुंजी) या अथवा password का प्रयोग data को क्रमश: encrypt व decrypt करने के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम sender द्वारा इस key का प्रयोग encryption algorithm की मदद से data को encrypt करने के लिए किया जाता है उसके बाद encrypted data को receiver के पास भेज दिया जाता है। Receiver द्वारा data को प्राप्त करने पर उसी same key (password) का इस्तेमाल encrypted data को decrypt करने के लिए किया जाता है, ताकि वह data को पढ़ व समझ सके।
इस क्रिप्टोग्राफी में sender व receiver दोनों को ही इस secret key अथवा password के बारे में जानकारी होती है। इसी कारण इस cryptography को shared key cryptography अथवा shared key cryptosystem अथवा secret key cryptography अथवा secret key encrypiton भी कहते हैं। और इस तकनीक में जो same key का प्रयोग किया जाता है उस key को secret key कहते हैं।

सिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफी में data को encrypt करने के लिए Triple DES, AES आदि algorithm का प्रयोग किया जाता है।
Triple DES = Triple Data encryption
AES = Advanced encryption standard
Triple DES algorithm में same secret key का प्रयोग data को encrypt व decrypt करने के लिए किया जाता है। अर्थात् sender व receiver दोनो एक ही key को share करते हैं data को encrypt व decrypt करने के लिए।
Asymmetric key cryptography –
एसिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफी में दो प्रकार की key कुंजी का प्रयोग किया जाता है –
- Public key
- Private key
अर्थात् इस क्रिप्टोग्राफी में प्रत्येक व्यक्ति के पास दो keys होती है और ये दोनों keys प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है।
- Sender की अपनी public key व private key
- Receiver की अपनी public key व private key
हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग
इनमें से public key के बारे में सभी को जानकारी हो सकती है पर private key, किसी के साथ share नही की जाती है अर्थात् private key किसी को नही बतायी जाती है।

Asymmetric key cryptography का प्रयोग करके communication –
इस क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग करके जब कोई व्यक्ति (sender), किसी अन्य व्यक्ति (receiver) को data (message) भेजना चाहता है तो सर्वप्रथम वह receiver की public key का प्रयोग data को encrypt करने के लिए करता है और receiver को भेज देता है। Receiver इस data को प्राप्त करके अपनी private key (जो केवल उसी का पता है) या password का इस्तेमाल कर data अथवा message को decrypt करके पढ़ व समझ लेता है।
एसिमेट्रिक की क्रिप्टोग्राफी को public key cryptography अथवा public key cryptosystem अथवा public key encryption भी कहते हैं।
इसको हम एक बेहतरीन उदाहरण की मदद से समझने की कोशिश करेंगें –
माना कि – एक शुभम नाम का एक व्यक्ति है, वह अपने दोस्त सचिन को email द्वारा संदेश भेजना चाहता है। तो शुभम, सचिन के email id पर उसे संदेश भेज देता है। सचिन इस email को अपने email-account पर प्राप्त करता है और email account के password का प्रयोग करके email को खोल कर, पढ़ व समझ लेता है।
तो इस उदाहरण में –
- सचिन की email id = सचिन की public key (जो सबको पता हो सकती है। चूँकि हम अपना email address सभी को बता सकते हैं)
- सचिन के email–account का password = सचिन की private key (जिसके बारे में किसी को नही पता है चूँकि हम अपना password किसी के साथ share नही करते हैं)
- और शुभम की email id = शुभम की public key (जो सबको पता हो सकती है)
Asymmetric key cryptography में data को encrypt व decrypt करने के लिए RSA algorithm का प्रयोग किया जाता है।
RSA = Rivest-Shamir-Adleman, यह एक asymmetric key cryptography अर्थात् public key cryptography algorithm है। इस एल्गोरिथम का नाम उन वैज्ञानिकों के नाम पर पड़ा जिन्होंने इसकी व्याख्या की – Ron Rivest, Adi Shamir, and Leonard Adleman.
Note – इस cryptography में use की जाने वाली private key को हम secret key नही कह सकते हैं क्योंकि private key प्रत्येक व्यक्ति की अपनी personal key होती है। इसलिए private key केवल private key है secret key नही।
यहॉं आपको यह समझना जरूरी है कि क्रिप्टोग्राफी दो प्रकार की होती है इसमें प्रयोग होने वाले key (कुंजी) अथवा password के आधार पर। और यह जो keys हैं इनका प्रयोग तो encryption and decryption में होता है। इसीलिए यदि हम encryption और decryption की बात करें, तो ये भी, keys के आधार पर दो-दो प्रकार के ही होंगें। मतलब क्रिप्टोग्राफी के जो दो प्रकार हैं, वे एंक्रिप्शन व डिक्रिप्शन के भी प्राकर होंगें। आपसे परीक्षा में, इनमें से किसी का भी प्रकार पूँछे, आपको इन दोनों प्रकार (symmetric और a symmetric) के बारे में ही लिखना होगा।
मतलब –
Symmetric key Cryptography = Symmetric key Encryption = Symmetric key Decryption
Asymmetric key Cryptography = Asymmetric key Encryption = Asymmetric key Decryption
अत:
Types of Encryption =
- Symmetric Key Encryption (secret Key Encryption)
- Asymmetric key Encryption (Public Key Encryption)
Types of Deccryption =
- Symmetric key Decryption (secret Key decryption)
- Asymmetric key Decryption (Private Key decryption)
I hope, आपको यह आर्टिकल -क्रिप्टोग्राफी क्या है- क्रिप्टोग्राफी के प्रकार – Types of Cryptography in Hindi जरूर पसंद आया होगा।
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