Computer Generations –
कम्प्यूटरों को समय के साथ उनमें हुए तकनीकी विकास के आधार पर अनेक भागों में विभक्त किया गया है जिन्हें कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations of Computer) कहते हैं। यह विकास software व hardware दोनों क्षेत्रों में हुआ है, जिसके परिणाम स्वरूप दिन-प्रतिदिन computer का आकार छोटा हुआ है, कीमत कम हुई, गति तेज व विश्वसनीय परिणाम प्राप्त हुए हैं। और लगातार इनमें सुधार जारी है।
सरल शब्दों में कहें तो Computer की Generation और कुछ नही बल्कि कम्प्यूटर के विकास की यात्रा है जो यह प्रदर्शित करती है कि कैसे बड़े आकार, धीमी गति, विद्युत की अत्यधिक खपत, कीमत ज्यादा और सीमित क्षमता वाले कम्प्यूटर- छोटे आकार, अत्यधिक तेज गति से त्रुटि रहित काम करने में सक्षम, कम कीमत जिसे आम जनमानस चुका सकता है, और विशाल क्षमता में परिवर्तित हुए हैं और अभी भी दिन-प्रतिदिन इसमें सुधार और कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती जा रही हैं।
अभी तक कम्प्यूटर की पीढि़यों को पाँच भागों में बॉंटा गया है जिनका विस्तार से वर्णन उनके लाभ व हानि के साथ प्रदर्शित किया जा रहा है।-
पीढ़ी (Generation) |
समयावधि (Period) |
तकनीक (Technology used) |
First Generation |
1940 – 1955 |
Vacuum Tubes |
Second Generation |
1956 -1964 |
Transistors |
Third Generation |
1965 – 1970 |
IC (Integrated Circuits with LSI) |
Fourth Generation |
1971 – 1985 |
Microprocessors with VLSI |
Fifth Generation |
1985 से वर्तमान तक एवं आगे |
Artificial Intelligence and Microprocessors with ULSI |
प्रथम पीढ़ी (First Generation – 1940-1955) – निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes)
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में काफी बड़े व अत्यधिक महंगे होते थे, जिनकी गति धीमी और विद्युत की अत्यधिक खपत करने वाले थे साथ ही कीमत ज्यादा और सीमित क्षमता वाले कम्प्यूटर थे जिनको व्यक्तिगत तौर पर घर पर उपयोग करना संभव नहीं था।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर्स में लॉजिक सर्किट (इलेक्ट्रानिक सर्किट) के लिए वैक्यूम ट्यूब (vacuum tube– निर्वात ट्यूब) का प्रयोग किया जाता था, जो कि एक पतले कॉंच की बनी होती थी और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को कंट्रोल और एम्प्लीफाई करती थी। इसीलिए first generation के computers को vacuum tube computer भी कहते हैं।
वैक्यूम ट्यूब का आविष्कार 1904 में किया गया था और उस समय केवल यही टेक्नोलॉजी थी जिसकी मदद से इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का निर्माण संभव हो सका।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर में हजारों की संख्या में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था और ये अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित करते थे, जिसे ठंडा रखने के लिए महँगी एयर कंडीशनिंग सिस्टम का प्रयोग करना पड़ता था, जिससे विद्युत की बहुत ज्यादा होती थी और इनकी लागत भी ज्यादा हो जाती थी।
यही vacuum tube की सबसे बड़ी कमी थी। अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण अक्सर vacuum tube जल जाते थे और जिसके फलस्वरूप कंप्यूटर के कार्य में बाधा पहुंचती थी।
ये कंप्यूटर्स कार्य करने के लिए मशीनी भाषा (binary language) का प्रयोग करते थे। input के लिए पंच कार्ड पर आधारित थे और output प्रिंटआउट के बाद ही प्राप्त होता था। जैसे अभी हम output मॉनीटर पर बिना print किये हुए देख सकते हैं प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में यह सुविधा नही थी।
उदाहरण =
MARK-1
ENIAC
EDVAC
EDSAC
UNIVAC
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर की विशेषताऍं – Characteristics of First generation Computers
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर में लॉजिक सर्किट के लिए वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था।
- प्राथमिक स्टोरेज डिवाइस के रूप में मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग करते थे।
- इनपुट के लिए पंच कार्ड व आउटपुट प्रिंट होने के बाद ही प्राप्त होता था। चूँकि उस मॉनीटर का अविष्कार नही हुआ था।
- ये computers कार्य करने के लिए मशीनी भाषा (अर्थात बायनरी भाषा 0 व 1) का प्रयोग करते थे।
- प्रोग्रामिंग, low level language (निम्न स्तरीय भाषा) – बायनरी भाषा व असेंबली भाषा में ही हो सकती थी।
- गणना (computation) करने में लगने वाला समय मिलीसेकण्ड में था। अर्थात प्रोसेसर के कार्य करने की गति मिलीसेकण्ड में थी।
उपयोग =
- payroll processing, inventory management,
- complex scientific and mathematical calculations
- Military Applications
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ व हानि
Advantages and Disadvantages of First Generation’s Computer
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ – Advantages of First Generation’s Computer
- प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर जैसे – एडजैक (ADSAC ) ऐसा पहला कंप्यूटर था, जो data व निर्देशों को अपनी ही मेमोरी में स्टोर करने में सक्षम था। और इनमें स्टोर्ड प्रोग्राम कांसेप्ट का प्रयोग किया गया था।
- इस पीढ़ी ने यूनीवैक –प्रथम (UNIVAC – I) एक ऐसा कंप्यूटर दिया, जिसका उपयोग व्यवसायिक कार्यों में किया जाने लगा।
- इस पीढ़ी में वेक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी के आने का लाभ यह हुआ कि, इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का निर्माण संभव हो सका।
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर के नुकसान – Disadvantages of First Generation’s Computer
- कार्य करने की गति बहुत धीमी।
- मंद गति से इनपुट आउटपुट।
- सीमित प्राइमरी स्टोरेज।
- आकार में काफी बड़े व अत्यधिक महंगे।
- इंस्टॉल करने के लिए लगभग एक कमरे से ज्यादा की स्थान की आवश्यकता होती थी।
- अविश्वसनीय थे – मतलब आउटपुट में त्रुटि (error) भी हो सकती थी।
- उपयोग होने वाले vacuum tube अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करते थे और प्राय: जल भी जाते थे।
- इनको (वैक्यूम ट्यूब को) ठंडा रखने के लिए महँगी एयर कंडीशनर का प्रयोग करना पड़ता था, जिसकी लागत अत्यधिक थी।
- ताप (उष्मा) को नियंत्रित करने में असुविधा होती थी।
- प्राय: हार्डवेयर में समस्या हो जाती थी।
- लगातार मेंटेनेंस (maintenance) की आवश्यकता।
- यह आज के कंप्यूटर की तरह पोर्टेबल नहीं था, एक जगह से दूसरी जगह ले जाना संभव नहीं था।.
- विद्युत की खपत अधिक मात्रा में करते थे।
- सीमित व्यवसायिक उपयोग।
द्वितीय पीढ़ी (Second Generation – 1956 -1964) – ट्रांजिस्टर (Transistors)
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब (निर्वात ट्यूब) की जगह ट्रांजिस्टर (Transistors) का प्रयोग किया गया, जो vacuum tube की अपेक्षा छोटे, हल्के, तीव्र और अधिक श्रेष्ठ थे।
ट्रांजिस्टर का आविष्कार सन 1947 में William Shockley के द्वारा किया गया, पर इसका विस्तृत उपयोग कंप्यूटर में 1950 के बाद ही शुरू हुआ।
ट्रांजिस्टर का प्रयोग होने के कारण इस पीढ़ी के कंप्यूटर, प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की अपेक्षा आकर में छोटे, ऊर्जा की कम खपत करने वाले, अधिक तेज, सस्ते, कम उष्मा उत्पन्न करने वाले तथा अधिक विश्वसनीय थे।
लेकिन ट्रांजिस्टर भी अधिक मात्रा में उष्मा उत्पन्न करते थे जिसके कारण कंप्यूटर को नुकसान होता था पर वैक्यूम ट्यूब की तुलना में अधिक उन्नत थे।
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर में आंतरिक मुख्य मेमोरी (primary memory) के रूप में मैग्नेटिक ड्रम की जगह magnetic core (चुंबकीय कोर) का एवं द्वितीय स्टोरेज डिवाइस (secondary memory) के लिए पंच कार्ड के साथ ही मैग्नेटिक टेप व मैग्नेटिक डिस्क का प्रयोग हुआ, जिससे कंप्यूटर की संग्रहण क्षमता बढ़ गई।
मैग्नेटिक कोर (Magnetic core) एक अस्थायी (non-volatile) मेमोरी है। इसे RAM (Random Access Memory) का प्रारम्भिक स्वरूप कहा जा सकता है।
इस पीढ़ी में प्रथम पीढ़ी की मशीनी भाषा (बाइनरी भाषा) की जटिलता को समाप्त करने का प्रयास किया गया और असेम्बली भाषा का उपयोग प्रोग्रामिंग भाषा के रूप किया जाने लगा। असेम्बली भाषा की मदद से कंप्यूटर को शब्दों/संकेतों के माध्यम से निर्देश दिए जा सकते थे। एवं यह भाषा human readable थी। इस पीढ़ी में प्रोग्रामिंग को और सरल बनाने के लिए उच्च स्तरीय भाषा जैसेकि – COBOL, FORTRON आदि का भी विकास किया गया एवं computer का प्रयोग उद्योग एवं व्यवसाय में भी शुरू हो गया।
उदाहरण =
IBM 1401, IBM 1620, CDC 1604, Honeywell 200, 400, 800 आदि।
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर की विशेषताऍं – Characteristics of Second generation Computers
- वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग आरंभ।
- प्रथम पीढ़ी की तुलना में आकर में छोटे एवं कम ऊर्जा की खपत करने वाले थे।
- अधिक तीव्र, विश्वसनीय एवं कम खर्चीले।
- ताप (ऊष्मा) में कमी।
- प्राथमिक आंतरिक मेमोरी (primary internal memory) के रूप में चुंबकीय कोर (magnetic core) का प्रयोग।
- मैग्नेटिक टेप एवं मैग्नेटिक डिस्क का प्रयोग होने की वजह से द्वितीयक संग्रहण क्षमता में वृद्धि।
- उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा जैसे – COBOL, FORTRON का विकास एवं इनके उपयोग की शुरुआत।
- द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर, इनपुट के लिए मुख्य रूप से पंच कार्ड एवं आउटपुट के लिए प्रिंटर पर निर्भर थे।
- प्रोसेसर की गति माइक्रोसेकंड में थी।
उपयोग –
- Payroll Processing
- Accounting
- Inventory Management
- Billing
- Scientific Research
- Cryptography
- MIS (Management Information System) आदि।
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ व हानि – Advantages and disadvantages of Second Generation’s Computer
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ – Advantages of Second Generation’s Computer
- ट्रांजिस्टर का उपयोग होने के कारण, कंप्यूटर की गति तीव्र एवं आकार में कमी हुई, प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में।
- विश्वसनीय एवं कम उष्मा उत्पन्न करना।
- उद्योगों एवं व्यवसायों में उपयोग संभव।
- ट्रांजिस्टर, विद्युत की कम खपत करते थे।
- मेंटेनेंस की कम आवश्यकता।
- प्रथम पीढ़ी की तुलना से कीमत कम होना।
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के नुकसान – Disadvantages of Second Generation’s Computer
- वर्तमान कंप्यूटर की तुलना में processing power एवं storage capacity का बहुत ही सीमित होना।
- हालांकि ट्रांजिस्टर, वैक्यूम ट्यूब के मुकाबले कम ऊष्मा उत्पन्न करते थे, पर फिर भी द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर, ऑपरेशन को परफॉर्म करते समय जो heat उत्पन्न करते थे उसके लिए cooling system का उपयोग करना पड़ता था, ताकि ओवरहीटिंग की वजह से कंप्यूटर के कार्य में बाधा ना आए।
- वैक्यूम ट्यूब आधारित कंप्यूटर की तुलना में कम मेंटेनेंस की जरूरत होती थी, पर भी नियमित मेंटेनेंस एवं समय-समय पर कंपोनेंट को रिप्लेस करने की आवश्यकता पड़ती थी।
- इनपुट/आउटपुट ऑप्शन का सीमित होना।
- प्रोग्रामिंग करना अपेक्षाकृत जटिल था, वर्तमान समय की तुलना में। चूँकि असेंबली लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग करने के लिए, प्रोग्रामर को हार्डवेयर (CPU) का गहरा ज्ञान होना आवश्यक था।
- व्यक्तिगत उपयोग (personal use) संभव नहीं। अर्थात घरों में निजी तौर पर उपयोग सम्भव नहीं।
तृतीय पीढ़ी (Third Generation –1965 – 1970) – इन्टीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuits with LSI)
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निरंतर तकनीकी विकास की वजह से सस्ते, आकार में छोटे एवं अत्यधिक तीव्र गति से कार्य करने की क्षमता वाले कंप्यूटर का विकास होता गया।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuits) का प्रयोग हुआ।
इंटीग्रेटेड सर्किट का विकास दो वैज्ञानिकों द्वारा अलग-अलग स्वतंत्र रूप से किया गया। 1958 में टैक्सास इंस्ट्रूमेंट्स में काम करते हुए जैक किल्वी (Jack Kilby) द्वारा एवं 1959 में फेयर चाइल्ड सेमीकंडक्टर कंपनी में रॉबर्ट नॉयस (Robert Noyce) द्वारा विकसित किया गया।
इस पीढ़ी में इंटीग्रेटेड सर्किट का विकास एक सेमीकंडक्टर मटेरियल सिलिकॉन की चिप पर हजारों ट्रांजिस्टर का समायोजन (integration) करके किया गया, जिसे LSI (Large Scale Integration) कहा गया, जो एक सिंगल चिप के रूप में थी और वजन में बहुत हल्की थी।
इस चिप के इस्तेमाल से कंप्यूटर का आकार बहुत ही छोटा हो गया एवं तीव्र गति एवं कुशलता से कार्य करने में सक्षम हो गए।
मुख्य इनपुट डिवाइस के रूप में कीबोर्ड एवं आउटपुट डिवाइस के रूप में मॉनिटर का प्रयोग आरंभ हुआ।
कंप्यूटर के सभी कार्यों एवं हार्डवेयर व एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को संचालित एवं नियंत्रित करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास किया गया।
RAM (Random Access Memory) के प्रयोग से कंप्यूटर की आंतरिक संग्रहण क्षमता में वृद्धि हो गई।,
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स में रिमोट संचार एवं मल्टीप्रोग्रामिंग, मल्टीटास्किंग की सुविधा थी। टाइम शेयरिंग का विकास हुआ, जिसकी वजह से एक साथ ही कई यूजर्स कंप्यूटर के संसाधनों का उपयोग कर सकते थे।
हाई-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का बहुतायत से प्रयोग किया जाने लगा।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर पर्सनल उपयोग के लिए तो उपयुक्त नहीं थे, पर सरकारी एवं प्राइवेट संस्थानों के बड़े समूह द्वारा उपयोग किये जाने लगे।
उदाहरण =
IBM System/360
CDC 6600
Honeywell 6000 series
NCR 395
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर की विशेषताऍं – Characteristics of Third generation Computers
- इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग।
- द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों की तुलना में छोटे, तीव्र एवं विश्वसनीय कंप्यूटर।
- उच्च स्तरीय भाषाओं का व्यापक उपयोग।
- आंतरिक संग्रहण की क्षमता उच्च थी।
- मल्टीप्रोग्रामिंग, मल्टीटास्किंग एवं रिमोट संचार की सुविधा थी।
- हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अलग-अलग मिलना शुरू हो गया, जिससे उपयोगकर्ता अपनी जरूरत के आधार पर सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकते थे।
- कंप्यूटर के हार्डवेयर एवं एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को सुचारू रूप से चलने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
- इनपुट एवं आउटपुट के रूप में क्रमश: keyboard एवं monitor का इस्तेमाल किया जाने लगा।
- प्रोसेसर के कार्य करने की गति नैनोसेकंड में थी।
- पेरीफेरल डिवाइस के कई विकल्प उपलब्ध थे।
उपयोग –
- Scientific Research
- Credit card billing
- Railway and Airline reservation system
- Basic level की networking
- एवं business applications जैसेकि – payroll processing, inventory management, accounting, and billing आदि।
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ व हानि – Advantages and disadvantages of Third Generation’s Computer
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ – Advantages of Third Generation’s Computer
- IC chip के प्रयोग होने के कारण तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे, तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम, वजन में हल्के एवं विश्वसनीय थे। प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में।
- प्रोसेसिंग स्पीड तेज थी।
- पिछले पीढ़ी की तुलना में संग्रहण क्षमता उच्च थी।
- मल्टीप्रोग्रामिंग एवं मल्टीटास्किंग की सुविधा के कारण एक समय में ही साथ-साथ कई tasks या programs का एग्जीक्यूशन संभव हो गया था।
- विभिन्न प्रकार के इनपुट-आउटपुट डिवाइसेज को सपोर्ट करते थे।
- दूर (remote location) में स्थित कंप्यूटर के साथ संचार संभव था।
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर के नुकसान (Disadvantages of Third Generation’s Computer)
- व्यक्तिगत तौर पर घरों में उपयोग नहीं किया जा सकते थे।
- कंप्यूटर को बनाने एवं खरीदने की लागत ज्यादा थी।
- ऐसी चिप को डिजाइन करना एवं इसका मेंटेनेंस एक जटिल कार्य था।
- वर्तमान कंप्यूटर की तुलना में बिजली की ज्यादा खपत करते थे।
- मॉडर्न कंप्यूटर डिवाइस की तुलना में कम पोर्टेबल थे।
इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) –एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (इलेक्ट्रॉनिक उपकरण) होती हैं जिसमें परस्पर जुड़े हुए कई इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स जैसेकि – transistors, diodes, resistors एवं capacitors आदि का समायोजन होता है। जो सभी एक ही सेमीकंडक्टर चिप (semiconductor wafer/ substrate), जो कि सिलिकॉन या अन्य तरह के सेमीकंडक्टर मटेरियल की बनी होती है, पर निर्मित होते हैं। |
Transistors आकार में बहुत ही छोटे होते हैं और यह एक semiconductor (अर्धचालक) device है। |
चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation – 1971 – 1985) – माइक्रोप्रोसेस (Microprocessors with VLSI)
कंप्यूटर के चौथी पीढ़ी की शुरुआत माइक्रोप्रोसेसर (microprocessors) के विकास के साथ शुरू हुई।
इस पीढ़ी में LSI – IC को और अधिक विकसित किया गया, जिसे VLSI (Very Large Scale Integration) या large integrated Circuit (विशाल एकीकृत सर्किट) कहा गया।
अब एक चिप में लाखों चीजों को समायोजित किया जा सकता था।
VLSI तकनीक के प्रयोग से माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण हुआ, जिसमें एक ही चिप पर हजारों से लाखों इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) लगाए गए।जिसकी वजह से कंप्यूटर का आकार इतना छोटा हो गया कि उसे हाथ की हथेली पर भी रख सकते हैं।
माइक्रोप्रोसेसर (CPU) के विकास से कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े सारे भाग एवं उनके कार्य, केवल एक ही चिप से नियंत्रित किए गए। यही कारण है कि माइक्रोप्रोसेसर को कंप्यूटर का ब्रेन कहा गया।
माइक्रो प्रोसेसर के निर्माण के साथ ही कंप्यूटर का आकार कम (पोर्टेबल) हो गया एवं क्षमता में अद्भुत रूप से वृद्धि हुई।
माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग न केवल कंप्यूटर में बल्कि प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले उत्पाद (products) के कई क्षेत्रों में प्रारंभ हुआ, जैसे – वाहनों, माइक्रोवेव ओवन, सिलाई मशीन आदि।
वर्तमान समय में माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल personal computer के अलावा – smart TV, digital cameras, smart phones, smart wearable devices, digital audio player, GPS devices, routers, switches, modems, medical devices, gaming consoles, industrial automation system, radar system, kitchen appliances आदि में प्रचुर मात्रा से हो रहा है।
इंटेल कॉरपोरेशन ने अपना पहला माइक्रोप्रोसेसर “Intel 4004” 1971 में विकसित किया।
एवं Altair 8800 (अल्टेयर 8800) पहला माइक्रो कंप्यूटर (personal computer) था जिसे 1975 में MITS (मिट्स) नामक कंपनी ने बनाया था, जिसमें Intel – 8080 नामक माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया था।
MITS = Micro Instrumentation and Telemetry Systems
कंप्यूटर को अब निजी उपयोग के लिए घरों में इस्तेमाल करना हो चुका था। यही वजह है कि माइक्रोप्रोसेसर को पर्सनल कंप्यूटर (PC) भी कहते हैं। इनपुट डिवाइस के रूप में माउस का प्रयोग शुरू हुआ। माउस के प्रयोग होने से कंप्यूटर को चलाना काफी आसान हो गया।
इस दौरान विभिन्न प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) का भी विकास हुआ, जैसे – MS-DOS, MS-Windows तथा Apple Mac OS.
MS-Windows एवं Apple Mac OS, ग्रॉफिकल यूजर इन्टरफेस (GUI) प्रदान करने वाले OS हैं। जिनके आने से users कंप्यूटर के साथ graphical elements (चित्रों) की सहायता से interact कर सकते हैं, उन्हें command याद रखने की जरूरत नहीं है।
C, Pascal, Basic आदि उच्च स्तरीय भाषाओं का विकास हुआ। जिससे प्रोग्रामिंग काफी आसान हो गई।
मैग्नेटिक कोर मेमोरी के स्थान पर सेमीकंडक्टर मेमोरी (RAM) का प्रयोग होने लगा, जिससे समय की बचत हुई और कंप्यूटर का कार्य अत्यंत तीव्र गति से होने लगा।
मेमोरी की क्षमता GB में हो चुकी थी। कंप्यूटर शक्तिशाली हो चुके थे।
बेसिक लेवल की नेटवर्किंग के माध्यम से computers को आपस में जोड़कर उनके मध्य data का आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसने इंटरनेट के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस पीढ़ी में micro processor, mouse, GUI, Networking, Internet, High level programming languages, multi processing आदि के विकास ने कंप्यूटर को अद्भुत रूप से कुशल, सक्षम एवं शक्तिशाली बना दिया। इसके साथ ही कंप्यूटर का आकार छोटा, कीमत कम, कार्य करने की क्षमता काफी तीव्र हो गई। एक सामान्य व्यक्ति भी कंप्यूटर को खरीद कर सरलता से उस पर कार्य कर सकता था।
उदाहरण =
PDP-11, Apple II, IBM PC-XT आदि।
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर की विशेषताऍं – Characteristics of Fourth generation Computers
- माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग, very large scale integration तकनीक द्वारा।
- माइक्रो कंप्यूटर अर्थात पर्सनल कंप्यूटर का आरंभ।
- उच्च एवं तीव्र मेमोरी क्षमता।
- अलग-अलग हार्डवेयर निर्माता के उपकरणों के बीच एक-अनुकूलता ताकि उपभोक्ता किसी भी निर्माता से कंप्यूटर के हार्डवेयर उपकरणों को खरीद कर उपयोग कर सके।
- आकार में पोर्टेबल, विश्वसनीय एवं गति से कार्य करने में सक्षम।
- विभिन्न प्रकार के इनपुट एवं आउटपुट डिवाइस को सपोर्ट करने में सक्षम।
- पिछली पीढ़ियों की अपेक्षा कीमत काफी कम हो गई।
- प्रोसेसर की गति मेगाहर्ट्ज़ (megahertz – MHz) में थी।
उपयोग –
- व्यक्तिगत उपयोग (Personal use)
- Software development में
- Business एवं Finance में
- Scientific Research
- Education
- Government and Defense
- Health care (Medical imaging, diagnostic analysis)
- डेटा की बहुत बड़ी मात्रा को संग्रहित करने में।
- Accounting
- Telecommunication
- Entertainment आदि
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ व हानि – Advantages and Disadvantages of Fourth-Generation’s Computer
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ – Advantages of Fourth Generation’s Computer
- माइक्रोप्रोसेसर के प्रयोग होने के कारण प्रोसेसिंग क्षमता काफी उच्च थी।
- चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर, पिछली पीढ़ियों की तुलना में आकर में बहुत छोटे व कम कीमत के थे, जिसकी वजह से अधिक पोर्टेबल एवं व्यक्तिगत व व्यावसायिक उपयोग के लिए उपयुक्त थे।
- स्टोरेज क्षमता ज्यादा होने की वजह से डेटा की बहुत बड़ी मात्रा को संग्रहित करने में सक्षम थे।
- माउस के प्रयोग के कारण कंप्यूटर को इनपुट/कमाण्ड प्रदान करना काफी सरल हो गया था।
- GUI वाले ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास नें गैर तकनीकी उपयोगकर्ताओं के लिए भी कंप्यूटर को चलाना आसान बना दिया।
चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर के नुकसान- Disadvantages of Fourth Generation’s Computer
- वर्तमान पीढ़ी की तुलना में कीमत का ज्यादा होना।
- आधुनिक कंप्यूटरों की तुलना में प्रोसेसिंग पावर एवं स्पीड का कम होना।
- प्रारंभिक माइक्रोप्रोसेसर में ओवरहीटिंग एवं हार्डवेयर फेलियर की समस्या थी।
- वायरस (malware), हैकिंग आदि से डेटा के चोरी होने का खतरा।
- टेक्नोलॉजी में निरंतर विकास की वजह से चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर जल्द ही अप्रचलित हो गए।
पंचम पीढ़ी (Fifth Generation –1985 से वर्तमान तक एवं आगे) – कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI – Artificial Intelligence and Microprocessors with ULSI)
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर में VLSI के स्थान पर ULSI (Ultra Large Scale Integration) को विकसित किया गया, जिसमें एक ही चिप (सेमीकंडक्टर चिप) पर करोड़ों इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स जैसेकि transistors, logic gates, memory cells, interconnects, capacitors एवं resisters आदि समाहित (integrate) किए जा सकते हैं।
ULSI तकनीक के द्वारा अत्यधिक जटिल एवं अत्यंत शक्तिशाली माइक्रो प्रोसेसर (CPU), GPU, विशाल संग्रहण क्षमता वाली विभिन्न प्रकार की मेमोरी चिप्स (मेमोरी मॉड्यूल) आदि का निर्माण किया गया। जिससे केवल एक ही चिप के द्वारा करोड़ गणना करना संभव हो गया।
इस पीढ़ी में पर्सनल कंप्यूटर के कई रूपों को विकसित किया गया, जैसे – Desktop, All-in-One PC, Laptop, Notebook, Tablet, Palmtop आदि।
इसी पीढ़ी में मल्टीमीडिया, इंटरनेट, www, Email, Video streaming platform, E-commerce आदि का विकास हुआ।
Data के स्टोरेज (संग्रहण) के लिए ऑप्टिकल डिस्क (CD, DVD), Flash memory (SSD, Pen drive) आदि का विकास हुआ।
AI (Artificial Intelligence) तकनीक को व्यापक रूप से विकसित किया जा रहा है इस तकनीक के अंतर्गत कंप्यूटर को मानवीय भाषा (natural language), मानव गुणों एवं उनकी बुद्धिमत्ता को सिखाया जा रहा है, ताकि कंप्यूटर सीधे-सीधे मानवीय भाषा को समझ सकें, परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले सकें, और समस्या का समाधान कर सकें।
AI एक व्यापक विषय है जिसमें – machine learning, data science, natural language processing (NLP), coputer vision, robotics एवं expert system आदि उपविषय शामिल हैं।
AI का उपयोग निम्नलिखित चीजों के लिए किया जा रहा है-
- voice recognition system
- Google Assistant
- Apple Siri
- language translator
- image recognition
- image enhancer
- recommendation system (e-commerce platform, video streaming platform आदि द्वारा user के पसंद के आधार पर उसको content प्रदर्शित करना।)
- Smart home devices
- customer care services (Chatbots एवं virtual customer care agents)
- content writing tools
- image /video /audio creator tools
- gaming
- health care devices आदि।
इस पीढ़ी में इतना तीव्र गति से विकास हुआ कि कंप्यूटर पोर्टेबल हो गए उनको जेब में या थैले में डालकर ले जाया जा सकता है।
अत्यंत तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम, समय की बचत, कीमत का काफी कम होना, कंप्यूटर व उसके इनपुट-आउटपुट डिवाइसों की क्वालिटी का बेहतर हो जाना, विशाल डेटा को संग्रहित करना आदि की वजह से वर्तमान समय में जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग प्राथमिकता से किया जा रहा है।
Cloud computing, parallel processing, distributed computing आदि भी पॉंचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर की ही विशेषताऍं हैं।
पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर की विशेषताऍं – Characteristics of Fifth generation Computers
- अत्यधिक तीव्र प्रोसेसिंग क्षमता।
- नेटवर्किंग का व्यापक एवं सरलता से उपयोग।
- स्टोरेज डिवाइस के रूप में ऑप्टिकल डिस्क (CD, DVD), Flash memory (pen drive, SSD) आदि का प्रयोग, जो विशाल संग्रहण क्षमता प्रदान करते हैं, एवं जिनकी डेटा को रीड एवं राइट करने की गति काफी तेज है।
- आकर में बहुत छोटे, तीव्र तथा उपयोग में आसान। (Compact and Portable)
- प्रोसेसर की गति गीगाहर्ट्ज़ (gigahertz – GHz) में है।
- Internet, www, multimedia आदि का विकास।
- AI तकनीक का विकास एवं व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
- सरल एवं उन्नत इनपुट-आउटपुट उपकरण।
- Plug एवं play devices का उपयोग।
- अत्यधिक उन्नत ऑपरेटिंग सिस्टम एवं एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर।
- वर्तमान समय में कंप्यूटर का उपयोग लगभग सभी क्षेत्रों द्वारा किया जा रहा है।
- विभिन्न आकार एवं प्रकार के PC का विकास जैसे – Desktop, Laptop, Palmtop, All in One, Notebook, Tablet आदि।
- कार्यक्षेत्रों के अनुकूल सॉफ्टवेयर की उपलब्धता।
- अनेकों सॉफ्टवेयर डेवलपमेंटल टूल उपलब्ध है जिनकी मदद से सॉफ्टवेयर/प्रोग्राम को विकसित करना काफी आसान हो गया है।
- अनेकों वेबसाइट बिल्डर एनवायरमेंट उपलब्ध है जिनकी मदद से हर तरह की वेबसाइट को, कोडिंग किए बिना डेवलप किया जा सकता है।
- उच्च स्तरीय भाषाओं एवं फोर्थ जनरेशन लैंग्वेज का विकास एवं व्यापक उपयोग।
- Online video streaming platform जैसेकि – YouTube, Amazon prime videos, Netflix, Disney+ Hotstar, Sony LIV आदि का विकास।
- E-commerce का अत्यधिक प्रचलन।
उपयोग =
Weather forecasting, Rocket/Satellite launching, GPS, Parallel Processing, Multimedia, Entertainment, advanced level की गेंमिंग, virtual reality.
लगभग सभी क्षेत्रों में उनके आवश्यकताओं के अनुसार उपयोग किया जा रहा है जैसे –
- scientific research
- engineering and design
- Healthcare and biomedical research
- financial sectors
- defense and security
- education
- communication
- Climate modeling and environmental research
- publication
- administration
- railway and airlines reservation आदि।
पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ व हानि – Advantages and disadvantages of Fifth Generation’s Computer
पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ व हानि
Pros and Cons of Fifth Generation’s Computers
पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर के लाभ – Advantages of Fifth Generation’s Computer
- कीमत इतनी कम कि अब घर-घर में कंप्यूटर उपयोग किया जा रहा हैं यहां तक कि एक व्यक्ति एक से ज्यादा कंप्यूटर खरीदने में सक्षम।
- High resolution एवं high definition (HD) वाले output की उपलब्धता।
- अत्यधिक तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम।
- मेंटेनेंस एवं रिपेयरिंग की बहुत ही कम आवश्यकता।
- यूजर के पास कंप्यूटर को खरीदने के लिए कई विक्रेता कंपनियों का विकल्प।
- प्रत्येक कार्य के लिए स्पेशलाइज्ड एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की उपलब्धता।
- Data को चोरी होने से बचने के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर एवं इंक्रिप्शन तकनीक का विकास।
- नेटवर्किंग के माध्यम से अलग-अलग लोकेशन्स में स्थित कंप्यूटर को आपस में जोड़कर उनके मध्य संचार स्थापित करना संभव हो गया।
- डेटा के विशाल मात्रा को संग्रहित करने में सक्षम।
पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर के नुकसान -Disadvantages of Fifth Generation’s Computer
कंप्यूटर एवं उनकी विभिन्न तकनीकों के विकास के लाभ तो अनेक हैं पर कुछ हानियां भी है जो निम्नलिखित हैं –
- अनेकों तरह के एंटीवायरस सॉफ्टवेयर एवं इंक्रिप्शन तकनीक की उपलब्धता के बावजूद भी, एडवांस लेवल के हैकर (black hat hackers) वेबसाइट्स को हैक कर लेते हैं एवं डेटा को चोरी कर लेते हैं। (साइबर अटैक)
- हाई-कॉन्फ़िगरेशन वाले कंप्यूटर एवं इनपुट-आउटपुट उपकरणों की कीमत का ज्यादा होना।
- यूजर की personal information (व्यक्तिगत जानकारी) को इकट्ठा करके, अन्य कंपनियों के साथ साझा करना या अन्य कंपनियों को बेंंच देना।
- ज्यादा यूजर होने से सर्वर डाउन की समस्या।
- AI एवं ऑटोमेशन तकनीकों के विकास से, मानवों के सामने बेरोजगारी (unemployment) की समस्या उत्पन्न हो गई है, उन्हें नौकरियों से बाहर किया जा रहा है। जो काम कई वर्कर्स मिलकर करते हैं कंप्यूटर उन्हें बड़ी ही कुशलता से अकेले ही करने में सक्षम हैं।
- जैसे-जैसे मानव अपने प्रत्येक कार्य के लिए कंप्यूटर पर निर्भर होता जा रहा है वैसे –वैसे उसकी सोचने, समझने, याद रखने की शक्ति कम होती जा रही है।
- ज्यादा समय तक कंप्यूटर पर कार्य करने से या मनोरंजन के लिए उपयोग करने से अनेकों तरह की health problems जन्म लेती हैं। जैसे –
- आंखों पर हानिकारक प्रभाव पढ़ना
- वजन बढ़ना / मोटापा (obesity)
- Back pain/ neck pain
- Mental health issues – stress, anxiety, depression, social isolation
- Insomnia (अनिद्रा) आदि।