Compiler और Interpreter के बीच अन्तर

Difference between compiler and interpreter in Hindi

Compiler और Interpreter के बीच अन्तर निम्नल‍िखित है-

क्रमांक कम्पाइलर (Compiler ) इन्टरप्रेटर ( Interpreter )
1 कम्पाइलर High Level Language में लिखे गये पूरे एक प्रोग्राम को, एक साथ ही कम्प्यूटर की भाषा यानी कि बाइनरी या मशीन भाषा में ट्रान्सलेट करता है। जो कि प्रत्येक कम्प्यूटर की अपनी भाषा होता है। तथा एक साथ ही विभिन्न लाइन में त्रुटियों को बताता है। (यदि प्रोग्राम में कोई त्रुटि है तो।)

इन्टरप्रेटर एक प्रोग्राम में लिखीं गयीं प्रत्येक पंक्ति/लाइन/स्टेटमेन्ट को प्रोग्रामर द्वारा लिखने के तुरन्त बाद ही चेक करके, ट्रान्सलेट करता है। तथा यदि उस लाइन में कोई त्रुटि होती तो उसी समय प्रदर्शित करता है। यह कम्पाइलर की तरह पूरे प्रोग्राम को लिखने का इंतजार नही करता है।

2 कम्‍पाइलर द्वारा Source program को ट्रान्सलेट कर object program बनाया जाता है तथा इस object program का प्रयोग एक्‍जीक्यूटेबल प्रोग्राम बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, जो कि डिस्क (Hard Disk – External memory) में संग्रहित हो सकता है। इन्टरप्रेटर द्वारा भी source program को  ट्रान्सलेट कर object program बनाया जाता है तथा एक्‍जीक्यूटेबल प्रोग्राम बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, जो कि सामान्यत: RAM (Random Access Memory – Internal memory) में संग्रहित होता है।
3 कम्‍पाइलर, Interpreter की अपेक्षा अधिक गति से काम करता है। इन्टरप्रेटर के द्वारा एक-एक स्टेटमेन्ट या लाइन को ट्रान्सलेट करने के कारण अधिक समय लगता है।
4 कम्‍पाइलर, Interpreter की तुलना में memory में ज्यादा space लेता है। इन्टरप्रेटर को लिखना आसान होता है तथा कम्प्यूटर में अधिक मेमोरी की आवश्यकता नही होती है। अर्थात् इन्टरप्रेटर मेमोरी में कम space लेता है।
5 कम्पाइलर का प्रयोग करने वाली उच्च स्‍तरीय भाषा (High Level Language) C, C++, C#, COBOL, FORTRON आदि हैं। इन्टरप्रेटर का प्रयोग करने वाली उच्च स्‍तरीय भाषा (High Level Language) – Ruby, Pascal, PHP, Perl आदि हैं।

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