कम्‍पाइलर क्‍या है? – Compiler kya hai in hindi

What is a compiler in Hindi? | कम्‍पाइलर किसे कहते हैं ?

Compiler:-

कम्पाइलर  एक ट्रान्सलेटर प्रोग्राम (अनुवादक) है जो उच्च स्तरीय भाषा (High level language) में लिखे गये प्रोग्राम को कम्प्यूटर की भाषा यानी की, मशीन भाषा या बाइनरी भाषा में बदल देता है।

कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को पहले एक साथ स्कैन करता है, तथा एक साथ ही पूरे प्रोग्राम को मशीन भाषा में बदल देता है। अर्थात् compiler प्रोग्रामर द्वारा लिखे गये पूरे प्रोग्राम को एक साथ ही स्कैन करके, इन्हें मशीनी भाषा में बदल देता है।

सोर्स प्रोग्राम या सोर्स कोड किसे कहते हैं?
आब्जेक्ट प्रोग्राम या आब्जेक्ट कोड किसे कहते हैं?

कम्‍पाइलर को हम एक उदाहरण द्वारा बेहतर समझेंगें-

अगर हमें किसी ऐसे व्यक्ति से बात करनी पड़े, जो हमारी भाषा को नही जानता और हम भी  उसकी भाषा को नही जानते हैं। पर हमें उससे बात करनी हैं, तो ऐसे में, हमें किसी तीसरे व्यक्ति की जरूरत पड़ेगी, जो दोनों भाषाओं का जानकार हो, और हमारी भाषा का अनुवाद कर उसे बता सके और उसकी भाषा का अनुवाद कर हमें बता सके, ताकि हम दानों पार्टी इस तीसरे व्यक्ति की मदद से अपना संवाद कर सकें।

तो यहॉं जो तीसरे व्यक्ति ने हमारी मदद की,वही काम कम्पाइलर हमारे लिए करता है और उच्च स्तरीय भाषा (High level language) में लिखे गये प्रोग्राम को कम्प्यूटर के समझ में आने वाली भाषा, बाइनरी भाषा (0,1) में बदल देता है।

 

कम्‍पाइलर कैसे काम करता है?

कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को पहले एक साथ स्कैन करता है, तथा एक साथ ही पूरे प्रोग्राम को मशीन भाषा में बदल देता है। अर्थात् compiler प्रोग्रामर द्वारा लिखे गये पूरे प्रोग्राम को एक साथ ही स्कैन करके, इन्हें मशीनी भाषा में बदल देता है। और यदि कोई त्रुटि (error) होती है तो उसे डिबगिंग विण्डो (debugging window) में प्रदर्शित करता है। जिन्हें हम step by step  ठीक कर सकते हैं, व पुन: प्रोग्राम को कम्‍पाइल करा सकते हैं। कम्पाइलर, इन्टरप्रेटर की तरह प्रोग्राम के हर स्टेटमेंन्ट को line by line नही ट्रान्सलेट करता है।

कम्‍पाइलर द्वारा जनरेट किया गया object program या object code, मशीन (कम्‍प्यूटर) डिपेन्डेन्ट होता है। इसका मतलब यह है कि किसी एक मशीन / कम्प्यूटर पर कम्पाइल किया गया प्रोग्राम किसी अन्य मशीन या कम्प्यूटर पर कार्य नही करेगा। इसलिए प्रत्येक कम्प्यूटर में एक विशेष भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए उस भाषा का कम्पाइलर होना जरूरी है। मशीन की निभर्रता / डिपेन्डेन्सी को खत्म करने के लिए उच्च स्तरीय भाषा में प्रोग्राम लिखे जाते हैं।

कम्‍पाइलर के लाभ व हानि

Advantages and Disadvantages of Compiler

कम्‍पाइलर के लाभ (Advantages of Compiler)

कम्‍पाइलर के लाभ निम्नलिखित हैं –

  • कम्‍पाइलर, High Level Language में लिखे गये प्रोग्राम यानी कि source program को एक साथ ही कम्पाइल करके Object program या  Machine Level Language में परिवर्तित करता है यदि कोई error होती है तो उसे debugging window में प्रदर्शित करता है, जिन्हें हम एक एक करके ठीक कर सकते हैं व पुन: प्रोग्राम को कम्पाइल करा सकते हैं।
  • Compiler ने प्रोग्रामरों को High Level Language का प्रयोग करने की साहूलियत प्रदान की है, जिससे मशीन भाषा (बाइनरी भाषा) व असेम्बली भाषा जो कि High Level Language की तुलना में काफी जटिल थी, की कमियों को खत्म करता है।

कम्‍पाइलर की हानियाॅंं (Disadvantages of Compiler)

कम्‍पाइलर की हानियाॅंं निम्नलिखित हैं –

  • कम्पाइलर, सोर्स प्रोग्राम को एक साथ ही कम्पाइल करता है, अत: प्रोग्राम लिखने में काफी समय लगता है।
  • प्रोग्राम के बड़े होने की स्थिति में error को ढूँढ़ना व उन्हें सही करना काफी मुस्किल व समय लगने वाला होता है।

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