The physical structure of a Hard Disk Drive
हार्ड डिस्क धातु से बनी, अनेक डिस्कों का समूह होती है। ये डिस्क, प्लेट अथवा प्लैटर कहलाते हैं। प्लैटर अथवा डिस्क – गोल, चपटी, कठोर एवं अनुचुंबकीय धातु की बनी होती है सामान्यतः एल्युमिनियम अथवा शीशा (glass) की।
प्रत्येक disk की दोनों सतहों पर चुंबकीय पदार्थ (magnetic material) की पतली परत का लेप (coating) होता है।
वास्तव में डिस्क की इन्हीं चुम्बकीय सतहों पर चुम्बकीय बिंदुओं या कणों (magnetic dots) के रूप में डेटा स्टोर होता है। प्रत्येक बिंदु, बाइनरी डेटा (0 व 1) को प्रदर्शित करते हैं।
प्रत्येक डिस्क एक मोटर लगी हुई स्पिंडल (spindle – धुरी या छड़ीनुमा आकृति) में फिट रहती है जो डिस्क को तीव्र गति से घूमाने के लिए जिम्मेदार है।
ऊपरी डिस्क की ऊपरी सतह एवं निचली डिस्क की नीचे की सतह को छोड़कर प्रत्येक डिस्क की दोनों सतहों पर चुम्बकीय पदार्थ का लेप होता है जिसमें डेटा को संग्रहित किया जा सकता है। प्रत्येक चुम्बकीय सतह के लिए, डेटा को read एवं write करने के लिए अलग-अलग, मैग्नेटिक रीड/राइट हेड लगे होते हैं। अर्थात अगर 10 चुम्बकीय सतह है तो 10 ही मैग्नेटिक रीड/राइट हेड होंगे, जो एक भुजा (actuator arm अथवा access arm) से जुड़े होते हैं। यह एक movable arm होती है। एवं यह भुजा ही रीड/राइट हेड को, घूमती हुई disk की सतह पर आगे पीछे गति करने में सक्षम बनाती है जिससे मैग्नेटिक-हेड read एवं write की प्रक्रिया को संपन्न करते हैं।
हार्ड डिस्क की प्रत्येक डिस्क, अपने रीड/राइट हेड के साथ एक case/ box के अंदर सील रहती है ताकि धूल, हवा, मिट्टी, खरोंच एवं अन्य क्षति से सुरक्षित रह सके।
Disk की प्रत्येक सतह अनकों tracks मे विभक्त होती है। आगे ये tracks, एक निश्चित साइज के छोटे-छोटे चुम्बकीय क्षेत्रों या blocks में विभाजित होते हैं जिन्हें सेक्टर (sectors) कहते हैं। इन tracks एव sectors की संख्या प्रत्येक सतह के लिए समान होती है। Data इन्हीं sectors में चुम्बकीय कणों अथवा चुम्बकीय बिन्दुओं (magnetic dot/ patter/ domain) के रूप में संग्रहित किया जाता है।
HDD में data को store करने की सबसे छोटी इकाई sector ही है। ये चुम्बकीय बिन्दु, डिजिटल डेटा अर्थात् binary data (0 व 1) का प्रतिधिनित्व करते हैं।
प्रत्येक रीड/राइट हेड, सम्बन्धित डिस्क की, किसी भी सतह के, किसी भी ट्रैक में बने हुए, किसी भी सेक्टर पर रीड एवं राइट की प्रक्रिया को सीधे ही (directly) संपन्न कर सकता है।
प्रत्येक डेटा, जो डिस्क की सतह पर जिस भी लोकेशन पर स्टोर किया जाता है उसका एक निश्चित पता (address) होता है यह पता सतह संख्या (surface number), ट्रैक संख्या (track number), एवं सेक्टर संख्या (sector number) से मिलकर बना होता है। इसी पते के आधार पर मैग्नेटिक हेड, सूचना को बिना किसी भटकाव के सीधे ही एक्सेस कर लेता है। यही कारण है कि HDD, डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज डिवाइस कहलाती है, जिसमें डेटा को रैंडमली बिना किसी क्रम के, space उपलब्ध होने पर, किसी भी ट्रैक के, किसी भी सेक्टर में स्टोर किया जा सकता है। एवं किसी विशेष डेटा को बिना किसी क्रम के, डिस्क के किसी भी सेक्टर से रैंडमली (सीधे ही) रिट्रीव अर्थात एक्सेस किया जा सकता है।
Hard Disk Drive का Access Time –
HDD को data को ढूँढ़कर, प्रस्तुत करने में जितना समय लगता है, वह उसका access time कहलाता है।
Seek Time (तलास समय) – सीक टाइम वह समय होता है, जो read/write हेड को, डिस्क पर सही ट्रैक या लोकेशन में पहुँचने में लगता है, जहॉं data संग्रहित होता है।
Rotational Latency (घूर्णी बिलम्बता) – वह समययविधि, जिसमें सही सेक्टर (जिसमें data संग्रहित है) read/write हेड पर पहुँचता है, रोटेशनल लेटेन्सी कहलाती है।
Data Transfer Time – जब read/write head डिस्क पर उचित ट्रैक व सेक्टर पर होते हैं उसके बाद डेटा को वास्तव में read या write करने में जो समय लगता है उसे ट्रांसफर टाइम कहते हैं।
डेटा ट्रांसफर टाइम, HDD के डेटा ट्रांसफर रेट पर निर्भर करता है। सामान्यत: यह MBPS अथवा GBPS में मापा जाता है। ट्रांसफर टाइम इस बात पर निर्भर करता है कि डेटा को डिस्क-प्लैटर से कितनी जल्दी पढ़ा या उस पर लिखा जा सकता है।
संक्षेप में – read/write head का disk पर उचित लोकेशन पर पहुंचने के बाद, data को HDD से system तक पहुंचने में जो समय लगता है वह HDD का ट्रांसफर टाइम कहलाता है।
ये तीनों समय मिलकर HDD का एक्सेस टाइम निर्धारित करते हैं। HDD का औसत एक्सेस टाइम लगभग 5 से 15 मिली सेकंड होता है। एक्सेस टाइम जितना कम होगा, data उतनी शीघ्रता से रीड एवं राइट किया जा सकता है।
सिलिण्डर (Cylinder) – एक हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) में उपस्थित, भिन्न-भिन्न डिस्क (platters) की सतह पर बने हुए tracks, जो vertically एक सीध में होते हैं, मिलकर cylinder का निर्माण करते हैं।
अर्थात भिन्न-भिन्न disk/platters में उपस्थित, समान नम्बर वाले tracks आपस में मिलकर cylinder का निर्माण करते हैं।
फॉर्मेटिंग (Formatting) – डिस्क को ट्रैक्स एवं सेक्टर्स में विभाजित करना, फॉर्मेटिंग कहलाता है।
ट्रैक (Tracks) – HDD के डिस्क अथवा प्लैटर्स पर बनें संकेन्द्रित वृत्त (concentric circle) अथवा वृत्तीय पाथ (circular path) होते हैं। प्रत्येक सतह पर multiple tracks हाते हैं। जिनमें data स्टोर किया जाता है।
(सेक्टर) Sector – प्रत्येक tracks छोटे-छोटे भागों अथवा चुंबकीय क्षेत्रों में विभक्त होते हैं जिसे सेक्टर कहते हैं।
HDD में डेटा को स्टोर करने की सबसे छोटी इकाई सेक्टर ही होती है ।
Tracks एवं Sectors ही संयुक्त रूप से HDD के स्टोरेज स्ट्रक्चर का निर्माण करते हैं।
