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Floppy disk क्या है – What is Floppy disk

फ्लॉपी डिस्क, एक सॉफ्ट मैग्नेटिक डिस्क होती है जो लचीले, माइलार (mylar) पदार्थ की बनी होती है जिस पर चुंबकीय पदार्थ (आयरन ऑक्साइड) की पतली परत का लेप होता है एवं कठोर, वर्गाकार प्लास्टिक के आवरण (jacket) में बंद होती है, ताकि धूल, मिट्टी, हवा, खरोंच आदि से सुरक्षित रह सके।

Magnetic Disk (चुम्बकीय डिस्क) क्या है – What is Magnetic Disk

मैग्नेटिक डिस्क, एक स्थाई स्टोरेज डिवाइस है, जो डेटा को संग्रहित करने के लिए चुंबकीय सतहों का उपयोग करती है। सामान्यतः यह गोलाकार, सपाट एवं अनुचुंबकीय पदार्थ जैसे कि एल्यूमिनियम अथवा ग्लास (शीशा) से बनी डिस्क होती है।

चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape) क्या है – What is Magnetic Tape

यह बिना जोड़ वाली, प्लास्टिक फिल्म की बनी – लंबी, लचीली एवं पतली पट्टी होती है जिस पर चुंबकीय पदार्थ (फेरोमैग्नेट) की परत चढ़ाई होती है। इसी पट्टी/टेप को चुंबकीय टेप अथवा चुंबकीय फीता कहा जाता है।
मैग्नेटिक टेप, इस चुम्बकीय पदार्थ की मदद से ही, magnetic pattern के रूप में data को read एवं write करता है।
इस टेप पर डेटा चुंबकीय (Magnetised) अथवा अनुचुंबकीय (Non- magnetised) बिंदुओं अर्थात magnetic pattern के रूप में संग्रहित होते हैं।

रजिस्टर मेमोरी क्या है – What is Registers

रजिस्टर (Registers) मेमोरी कंप्यूटर की सबसे तेज और छोटी मेमोरी होती है, जो सीधे सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) के अंदर होती है। रजिस्टर्स का उपयोग सीपीयू के द्वारा तुरंत एक्सेस किए जाने वाले डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।

प्रायमरी मेमोरी क्या है एवं इसके प्रकार – what is Primary Memory

प्रायमरी मेमोरी CPU का एक महत्वपूर्ण भाग होती है। यह मेमोरी सीधे ही CPU (ALU, CU) के सम्पर्क में रहती है और मदर बोर्ड में निश्चित स्थान पर फिट रहती है।
अर्थात ऐसी memory unit जिसका प्रयोग CPU द्वारा प्रोसेसिंग के समय data व निर्देशों को प्राप्त करने व संग्रहित करने के लिए किया जाता है। प्रायमरी मेमोरी कहलाती है। प्रायमरी मेमोरी को CPU सीधे व तीव्र गति से access कर लेता है। अर्थात यह मेमोरी CPU के directly सम्पर्क में होती है।

Computer Memory क्या है एवं इसके प्रकार- Types of Computer Memory

Memory, कंप्यूटर का एक मुख्य भाग है। इसका प्रयोग समस्त प्रकार के डेटा व प्रोग्राम्स (software) को संग्रहित करने के लिए किया जाता है।
अर्थात
कम्प्यूटर में Data व Information को संग्रहित करने के लिए‍ जिस डिवाइस का उपयोग किया जाता है, उसे मेमोरी कहते हैं।

कंप्यूटर की सीमाएँ – Limitations of Computer

कंप्यूटर स्वयं निर्णय नहीं ले सकता है, यूजर द्वारा कंप्यूटर में इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर और दिए गए डेटा व निर्देश के आधार पर ही कार्य कर सकता है।
कंप्यूटर अपनी रक्षा करने में असमर्थ होता है, हम उसको तोड़ सकते हैं या उसके किसी भी पार्ट में छेड़खानी भी कर सकते हैं।

द्वितीयक मेमोरी (सेकेंडरी मेमोरी – Secondary memory) क्या है?

कम्प्यूटर में हमारे सभी डेटा, इनफार्मेशन एवं सॉफ्टवेयर (प्रोग्राम्स) को स्थाई तौर पर स्टोर करने के लिए, जिस मेमोरी का प्रयोग किया जाता है वह द्वितीयक मेमोरी (सेकेंडरी मेमोरी – Secondary memory) कहलाती है।
प्राथमिक मेमोरी (प्राइमरी मेमोरी) या मेन मेमोरी,अस्थायी (volatile) और सीमित संग्रहण क्षमता वाली होती है। इन दोनों कमियों को दूर करने के लिए, द्वितीयक मेमोरी का प्रयोग किया जाता है। जो कि स्थाई (non-volatile) होती है, अर्थात डेटा को स्थायी (permanent) रूप से संग्रहित करती है। तथा बड़ी मात्रा में विशाल संग्रहण क्षमता उपलब्ध कराती है जिससे यूजर अपनी जरूरत के अनुसार जितना चाहे उतना डेटा स्टोर कर सकता है।

Basic Operations/ Functions of Computer – कम्प्यूटर के मुख्य कार्य

Data collection – इनपुट डिवाइस के द्वारा
Data storing – मेमोरी के द्वारा
Data processing – CPU (प्रोसेसर) के द्वारा – Data पर दिये गए निर्देशों के आधार पर arithmetic एवं logical operation परफार्म करना।
Data outputting – आउटपुट डिवाइस के द्वारा
Controlling – उपरोक्त सभी operations के विधि एवं क्रम को मैनेज व कन्ट्रोल करना।

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