संचार प्रोटोकॉल – Communication Protocols
कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल, नियमों एवं मानकों के समूह (set of rules and conventions) होते हैं जो एक कंप्यूटर नेटवर्क में डिवाइसों के मध्य सूचना के आदान-प्रदान का संचालन एवं नियंत्रण करते हैं। और यह सुनिश्चित करते हैं कि data का ट्रांसमिशन निश्चित समय में बिना किसी त्रुटि व विकृति के कुशलता पूर्वक हो।
इन नियमों के अनुसार ही दो या दों से अधिक networks व उन networks में शामिल डिवाइसें आपस में सूचनाओं/ डेटा का आदान-प्रदान करती हैं, एवं रिसोर्सेस जैसेकि प्रिंटर, इंटरनेट, स्टोरेज डिवाइस आदि को साझा करती हैं।
अर्थात प्रोटोकॉल, कंप्यूटर नेटवर्क पर data एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए पूर्व परिभाषित नियम, प्रक्रियाऍं एवं मानकों के समूह होते हैं।
संचार प्रोटोकॉल विभिन्न प्रकार के नेटवर्क्स, सिस्टम्स और उपकरणों के बीच डेटा और संदेशों को निर्देशित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल्स सामान्यत: निम्न सूचनाओं को शामिल करते हैं –
- Data/massage को कैसे फॉर्मेट किया जाए।
- Data/massage को कैसे व किस विधि से ट्रांसमिट किया जाए।
- Data/massage को कैसे प्राप्त किया जाएगा।
- कम्युनिकेशन के दौरान error handling एवं डेटा सिक्योरिटी।
- Data/massage प्राप्त होने के उपरांत acknowledgement एवं फीडबैक।
प्रोटोकॉल्स के उदाहरण
कुछ प्रोटोकॉल्स के उदाहरण निम्नलिखित हैं –
- TCP
- IP
- ARP
- FTP
- UDP
- SNMP
- HTTP
- HTTPS
- SSL/TLS
- SMTP
- POP
- IMAP
- Telnet
- Wireless protocol
TCP
इसका पूरा नाम Transmission Control Protocol है। यह एक कनेक्शन ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है। दो computers के मध्य डेटा अथवा इनफॉरमेशन के आदान-प्रदान के लिए उनके मध्य कनेक्शन स्थापित करता है, कनेक्शन स्थापित होने के बाद विश्वसनीय रूप से डेटा का आदान-प्रदान करता है, कनेक्शन को मेंटेन करता है जब तक की संचार पूरा ना हो जाए, और संचार समाप्त होने पर कनेक्शन को समाप्त कर देता है।
IP
इसका पूरा नाम Internet Protocol है। यह प्रोटोकॉल प्रेषकों एवं प्राप्तकर्ताओं की पहचान करने के लिए अद्वितीय IP address का उपयोग करके, नेटवर्क पर उपकरणों (devices) के मध्य data के packets की रूटिंग करता है जिससे संचार संभव हो पता है।
ARP
इसका पूरा नाम Address Resolution Protocol है। यह प्रोटोकॉल स्थानीय नेटवर्क (LAN) में किसी डिवाइस के आईपी पते (IP address) को उसके भौतिक पते (MAC address) से संबंधित करता है।
नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर एवं अन्य डिवाइसों में लगे हुए NIC (Network Interface Care) पर यह MAC address (Media Access Control address) छपा होता है, जो एक नेटवर्क में प्रत्येक device/node को अद्वितीय पहचान प्रदान करता है।
ARP की मदद से ही किसी भी device/node का मैक ऐड्रेस ज्ञात किया जाता है उसके आईपी एड्रेस के आधार पर।
FTP
इसका पूरा नाम File Transfer Protocol है। Internet में एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर files को ट्रांसफर करना।
इस प्रोटोकॉल की मदद से web browser का उपयोग करके इंटरनेट (web host /server) से files को download एवं इंटरनेट (web host /server) पर files को upload किया जाता है।
अर्थात इस प्रोटोकॉल की मदद से client एवं server computers, जोकि internet से जुड़े हुए है, उनके मध्य files का आदान-प्रदान सम्भव होता है।
UDP
इसका पूरा नाम User Datagram Protocol है।
यह एक कनेक्शन विहीन (connection less) प्रोटोकॉल है। अर्थात यह प्रोटोकॉल डेटा के आदान-प्रदान के लिए sender एवं receiver के मध्य कोई कनेक्शन स्थापित नहीं करता है। यह बिना किसी पूर्व सेटअप के डेटा को ट्रांसपोर्ट करता है और प्राप्तकर्ता द्वारा डेटा के रिसीव होने की सूचना भी नहीं रखता है। और न ही datagram का कोई निश्चित क्रम ही होता है।
(Datagram = data packet)
SNMP
इसका पूरा नाम Simple Network Management Protocol है।
इस प्रोटोकॉल का प्रयोग नेटवर्क से जुड़ी हुई डिवाइसों एवं उनके कार्यों को मैनेज एवं मॉनिटर करने के लिए किया जाता है।
अर्थात इसके नाम के अनुरूप ही इस प्रोटोकॉल की मदद से संपूर्ण नेटवर्क को मैनेज एवं कंट्रोल किया जाता है।
यह प्रोटोकॉल नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर को नेटवर्क से कनेक्टेड डिवाइसों जैसेकि – routers, switches, servers, printers आदि को remotely (दूर से ही) monitor, connect एवं manage करने की सुविधा प्रदान करता है।
HTTP
इसका पूरा नाम Hypertext Transfer Protocol है। यह World Wide Web (www) पर data communication की नींव है। यह एक request-response protocol है।
जहॉं एक client (जैसेकि web browser – goggle chrome, Internet explorer), किसी web page के लिए web server computer को request भेजता है और सर्वर इस अनुरोध को प्राप्त कर उसे web page प्रदर्शित कर देता है। यदि सर्वर में वह वेव पेज नहीं है तो इससे संबंधित सूचना या एरर मैसेज प्रदर्शित करता है।
अर्थात इस प्रोटोकॉल का प्रयोग, इंटरनेट की मदद से वेब पेज का प्रसारण करने के लिए किया जाता है।
यह वेब ब्राउज़र (क्लाइंट) एवं वेब सर्वर के मध्य संचार स्थापित करता है, जिससे यूजर इंटरनेट पर वेब ब्राउज़र की मदद से विभिन्न सूचनाओं जैसेकि HTML documents, image, videos एवं अन्य संसाधनों को प्राप्त कर पता है।
संक्षेप में – यह प्रोटोकॉल वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर के बीच डेटा के संचार में उपयोग होने वाला प्रोटोकॉल है। यह वेब पेजों, फ़ाइलों, छवियों, वीडियो आदि को client द्वारा अनुरोध करने और web server के माध्यम से प्राप्त करने के लिए उपयोग होता है।
HTTPS
HTTP का ही secure version है जहॉं S का मतलब “secure” है।
यह प्रोटोकॉल client (web browser) एवं web server के मध्य ट्रांसमिट किए जाने वाले डेटा को एंक्रिप्ट कर देता है, जिससे कोई ऐसा व्यक्ति या मशीन जो डेटा को चोरी करना चाहते हैं उनके लिए यह unreadable (अपठनीय) हो जाता है।
यह एंक्रिप्शन SSL/TLS protocol का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है।
यह प्रोटोकॉल वहां बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है जहां सेंसटिव इनफॉरमेशन जैसेकि – online transaction (banking transaction), OTP, debit card/credit card pin, login credentials (user ID व password) एवं अन्य निजी जानकारी को सुरक्षित रखना होता है।
इसलिए वर्तमान में लगभग सभी websites/blogs में https प्रोटोकॉल का ही SSL/TLS के साथ प्रयोग किया जा रहा है।
जबकि HTTP की मदद से client एवं web server के मध्य किए जाने वाले संचार में डेटा बिना एन्क्रिप्शन के plain text के रूप में ट्रांसमिट होता है। इसका मतलब है कि HTTP द्वारा किए जाने वाले संचार में यूजर की कॉन्फिडेंशियल इनफॉरमेशन जैसेकि – ATM card की पिन, OTP, Banking information, login credential आदि, कोई भी third party/hacker या किसी मशीन द्वारा चोरी किया जा सकता है।
अत: HTTP का प्रयोग रेगुलर वेबपेज को एक्सेस करने के लिए किया जाता है जहां डेटा की सिक्योरिटी आवश्यक नहीं होती है।
SSL/TLS
इसका पूरा नाम Secure Socket Layer and Transport Layer Security है।
यह एक प्रोटोकॉल है जो कंप्यूटर नेटवर्क (Internet) में secure communication (सुरक्षित संचार) प्रदान करता है यह क्लाइंट जैसे – web browser और वेब सर्वर के बीच प्रसारित डेटा को एंक्रिप्ट कर देता है जिससे डेटा सुरक्षित और गोपनीय रहता है और अनाधिकृत व्यक्तियों या मशीनों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
वेब ब्राउज़र के सर्च बार में SSL protocol एक लॉक के रूप में प्रदर्शित होता है। इस प्रोटोकॉल का उपयोग – web browsing (HTTPs), email transmission (SMTP, IMAP, POP), virtual private networks (VPNs), instant messaging आदि में किया जाता है।
SMTP
इसका पूरा नाम Simple Mail Transfer Protocol है। यह ईमेल सिस्टम के लिए मुख्य प्रोटोकॉल है। इसी प्रोटोकॉल की मदद से इंटरनेट पर emails एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर भेजा जाता है। अर्थात यह ईमेल के प्रेषण को निर्देशित करता है।
POP
इसका पूरा नाम Post Office Protocol है।
यह email संदेशों को प्राप्त (download/receive) करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक प्रोटोकॉल है।
इस प्रोटोकॉल का उपयोग email clients द्वारा mail server से mails को client computer/local device पर प्राप्त (download/retrieve) करने के लिए किया जाता है।
इस प्रोटोकॉल द्वारा ई-मेल को सर्वर से क्लाइंट कंप्यूटर में डाउनलोड कर लेने के बाद ईमेल सर्वर से डिलीट हो जाता है। सर्वर ई-मेल की कॉपी नहीं रखता है यदि सेटिंग ना की गई हो तो। अत: ईमेल को केवल उसी डिवाइस या कंप्यूटर में पढ़ सकते हैं जिसमें डाउनलोड कर लिया गया हो।
POP एक mail server से client compute/device तक ई-मेल प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाला प्रोटोकॉल है परंतु IMAP, जो एडवांस्ड फीचर से परिपूर्ण है के आ जाने से इसका उपयोग कम हो गया है।
POP का उपयोग विभिन्न email clients एवं application software द्वारा किया जाता है जैसे –
Microsoft Outlook, Apple Mail, Opera Mail आदि।
IMAP
इसका पूरा नाम Internet Message Access Protocol है। यह भी एक ईमेल सर्विस प्रदान करने वाला प्रोटोकॉल है। वर्तमान समय में इसका बहुतायत से उपयोग हो रहा है।
इसमें email, सर्वर पर ही स्टोर रहता है जिसे multiple devices (computer, laptop, mobile आदि) द्वारा लॉगिन करके कभी भी एक्सेस किया जा सकता है।
उपयोग –
- Gmail
- Microsoft Outlook
- Apple Mail
- Yahoo Mail
- Microsoft Exchange
- Zoho Mail आदि।
NOTE – SMTP प्रोटोकॉल का उपयोग मेल भेजने के लिए किया जाता है, जबकि POP एवं IMAP का उपयोग रिसीवर की ओर से उन ईमेल को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ये प्रोटोकॉल इंटरनेट पर ईमेल भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक साथ काम करते हैं।
Telnet
इसका पूरा नाम Tele-communication Network है। किसी भी computer को remotely access करने के लिए।
Wireless protocol
ये प्रोटोकॉल्स, wireless (ताररहित संचार) की सुविधा प्रदान करते हैं। जैसे – wi-fi, Bluetooth, Zigbee, Z-wave, NFC (Near Field Communication) आदि।
संक्षेप में,
- नेटवर्क में कंप्यूटर्स एक निश्चित प्रोटोकॉल के अनुसार data का आदान-प्रदान करते हैं।
- प्रोटोकॉल नियमों एवं मानकों का समूह होता है जिसके अनुसार नेटवर्क में कंप्यूटर व अन्य डिवाइसेस को आपस में जोड़ा जाता है एवं उनके मध्य संचार स्थापित किया जाता है अर्थात डेटा का आदान-प्रदान किया जाता है।