ये दो भिन्न प्रकार की विधियॉं या तकनीके हैं जिनके द्वारा मॉनिटर, अपने स्क्रीन पर किसी भी image को प्रदर्शित करता है।
इंटरलेस्ड मॉनिटर, प्रत्येक फ्रेम को दो भागों (field) में विभाजित करके image को प्रदर्शित करता है।
नॉन इंटरलेस्ड डिस्प्ले तकनीक में, संपूर्ण image frame एक बार (a single pass) में ही प्रदर्शित कर दी जाती है।
स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर एक हार्डवेयर उपकरण है जो किसी डिजिटल इमेज या वीडियो को एक बड़े सतह या स्क्रीन (पर्दे) पर दिखाता है। इसका उपयोग आमतौर पर निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है:-
शिक्षा: कक्षाओं में प्रेजेंटेशन, लेक्चर या वीडियोज़ दिखाने के लिए।
कार्यालय: बिज़नेस मीटिंग्स, प्रेजेंटेशन और कॉन्फ़्रेंस के दौरान।
मनोरंजन: होम थिएटर सेटअप, मूवी देखने के लिए।
इवेंट्स: बड़े इवेंट्स, कॉन्सर्ट्स या पब्लिक प्रेजेंटेशन में।
ऑप्टिकल डिस्क एक प्रकार का बहुत ही प्रसिद्ध एवं प्रचलित संग्रहण माध्यम है, जिसका विकास सन् 1970 के दशक में किया गया था। इसमें लेज़र किरणों अर्थात प्रकाश का प्रयोग करके डेटा को read एवं write किया जाता है इसीलिए इसे ऑप्टिकल डिस्क (प्रकाशीय डिस्क) कहते हैं।
SSD पूरा नाम सॉलिड स्टेट ड्राइव (Solid State Drive) है जो data को स्टोर करने के लिए NAND Flash Memory का प्रयोग करती है।
NAND से तात्पर्य NAND logic gate से है = NOT+AND gate
इसकी संग्रहण क्षमता एवं स्पीड, हार्ड डिस्क के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है।
इसमें hard disk drive की तरह कोई भी mechanical component (यांत्रिकीय उपकरण) जैसेकि घूमने वाली डिस्क एवं मूव करने वाले read / write head आदि नही होते हैं। अर्थात SSD में कोई भी हिलने-डुलने, घुमने वाले उपकरण (moving parts) नही होते हैं, जिसकी वजह से यह मेमोरी तीव्र गति से data को एक्सेस करने एवं विद्युत की कम खपत करने में सक्षम है।
Flash Memory एक Non-volatile (स्थायी) memory है जो data को संग्रहित करने के लिए memory cells का प्रयोग करती है।
मेमोरी सेल, फ्लोटिंग गेट ट्रांजिस्टर (floating gate transistor) की बनी होती है।
Floating gate transistor एक ऐसा ट्रांजिस्टर होता है, जिसमें floating gates होते हैं।
फ्लोटिंग गेट ट्रांजिस्टर ही memory cell में data को विद्युत आवेशों (electric charges) के रूप में संग्रहित करता है। यह electric charges, बाइनरी डिजिट (0 व 1) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हार्ड डिस्क धातु से बनी, अनेक डिस्कों का समूह होती है। ये डिस्क, प्लेट अथवा प्लैटर कहलाते हैं। प्लैटर अथवा डिस्क – गोल, चपटी, कठोर एवं अनुचुंबकीय धातु की बनी होती है सामान्यतः एल्युमिनियम अथवा शीशा (glass) की।
प्रत्येक disk की दोनों सतहों पर चुंबकीय पदार्थ (magnetic material) की पतली परत का लेप (coating) होता है।
वास्तव में डिस्क की इन्हीं चुम्बकीय सतहों पर चुम्बकीय बिंदुओं या कणों (magnetic dots) के रूप में डेटा स्टोर होता है। प्रत्येक बिंदु, बाइनरी डेटा (0 व 1) को प्रदर्शित करते हैं।
प्रत्येक डिस्क एक मोटर लगी हुई स्पिंडल (spindle – धुरी या छड़ीनुमा आकृति) में फिट रहती है जो डिस्क को तीव्र गति से घूमाने के लिए जिम्मेदार है।
कंप्यूटर की मुख्य सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस – हार्ड डिस्क ही है।
कंप्यूटर के सभी programs, software, Operating System, एवं समस्त डेटा इसी में स्टोर अथवा इंस्टॉल होते हैं, जिसका उपयोग हम अपनी आवश्यकता के आधार पर कर सकते हैं।
चूँकि हार्ड डिस्क में कठोर (hard) डिस्क का प्रयोग होता है इसलिए इसे Hard Disk कहते हैं।
ये disk, रीड/राइट हेड के साथ एक बॉक्स के अंदर बन्द रहती है जिसकी वजह से धूल, मिट्टी, हवा, खरोच आदि से सुरक्षित रहती है। साथ ही कंप्यूटर के अंदर एक निश्चित स्थान पर स्क्रू द्वारा फिक्स कर दी जाती है ताकि धक्कों एवं हिलने डुलने से भी बची रहे।