Communication Media क्या है एवं इनके प्रकार

 

Communication Media अथवा Transmission Media अथवा Communication Channels

ट्रांसमिशन मीडिया का प्रयोग नेटवर्क में सम्मिलित होने वाले प्रत्येक कंप्यूटर को आपस में जोड़कर उनके मध्य data को ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है, जिसकी वजह से उस नेटवर्क से जुड़े सभी computers आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में सक्षम हो पाते हैं।

एक computer से दूसरे अन्य किसी भी प्रकार के computer तक डेटा को send/receive अथवा share करने के लिए उन कम्प्यूटरों का आपस में किसी माध्यम द्वारा जुड़ा होना अति आवश्‍यक है। computers को आपस में link (connect) करने के लिए जिन माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें ही communication media कहते हैं।

Communication Media को निम्न नामों से भी जाना जाता है –

  • Data Communication Medium
  • Transmission Media
  • ommunication Data Link
  • CommunTransmission Channel
  • Communication Channel
  • Cication Data Line
  • Wired and Wireless transmission media

इन communication media का मुख्य उद्देश्य दो या दो से अधिक computers को आपस में जोड़कर उनके मध्य एक network स्थापित करना है ताकि एक दूसरे से जुड़े हुए computers के मध्य data का आदान-प्रदान (data का transmission) सम्भव हो सके।

Networking में कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने के लिए दो प्रकार की transmission media इस्तेमाल की जाती है – जिसमें एक तार युक्त (wired) होती है जिसे wired transmission media कहते हैं, और दूसरी बिना तार के होती है जिसमें data को send/receive करने के लिए waves (तरंगों) का इस्तेमाल होता है, wireless transmission media कहलाती है।

फिर इनके भी कई प्रकार हैंं जो निम्नलिखित हैं –

Classification  of Communication Media

Types of Transmission Media

संचार माध्यम के प्रकार

Transmission Media Types – Properties and Speciality of various Media type – comparative study

एक कंप्यूटर नेटवर्क में विभिन्न प्रकार के ट्रांसमिशन मीडिया का प्रयोग किया जाता है जो निम्नलिखित है –

ट्रांसमिशन मीडिया दो प्रकार की होती हैं –

  • Wired Transmission Media
  • Wireless Transmission Media

 

Types of Transmission Media

 

Wired Transmission Media – तार युक्त संचार माध्य्यम अथवा भौतिक संयोजन अथवा तार माध्यम

यह संचार का वह माध्यम है जिसमें प्रेषक से प्राप्तकर्ता तक सूचनाऍं (signals), भौतिक तार (केबल) के माध्यम से गमन करती हैं।

ये भौतिक तार यातो किसी धातु के बने होते हैं या कांच या प्लास्टिक के तंतुओं द्वारा।

अर्थात wired transmission में सोर्स से डेस्टिनेशन तक डेटा का संचरण तार अथवा केबल के माध्यम से होता है।

वायर्ड ट्रांसमिशन का उपयोग वहां किया जाता है जहां sender व receiver दोनों एक निश्चित स्थान पर स्थित हों। इस संचार माध्यम का उपयोग कुछ मीटर से लेकर हजारों किलोमीटर दूरी तक के लिए किया जाता है।

Wired Transmission Media को Guided Media, Bounded Media, Physical line (भौतिक संयोजन) आदि नामों से भी जाना जाता है।

Wired Transmission Media तीन प्रकार के होते हैं –

  1. Twisted Pair Cable
  2. Co-axial Cable
  3. Fiber Optic Cable अथवा optical fiber

 

NOTE

  •  Sender = व्यक्ति / कम्प्यूटर / अन्य मशीन या डिवाइस 
  • Receiver = व्यक्ति / कम्प्यूटर / अन्य मशीन या डिवाइस                 

 

Wireless Transmission Media – वॉयरलेस ट्रांसमिशन मीडिया – तार रहित संचार माध्यम

इस प्रकार के संचार माध्यम में प्रेषक से प्राप्तकर्ता तक सूचनाओं का परिवहन (संचरण) किसी भौतिक तार के माध्यम से नहीं, बल्कि आकाश (space) में waves (तरंगों) के माध्यम से होता है।

अर्थात यह संचार का वह माध्यम है जिसमें सोर्स से डेस्टिनेशन तक डेटा का प्रवाह waves (तरंगों) के माध्यम से होता है।

ऐसे संचार माध्यम का प्रयोग वहॉं किया जाता है, जब sender व receiver में से कोई एक अथवा दोनों एक निश्चित स्थान पर स्थिर न हो अर्थात चलायमान हों। चलायमान होने की वजह से उनके बीच कोई तार या केबल डालना संभव नहीं है।

इस प्रकार के संचार माध्यम (wireless transmission) में डेटा/ सूचना को विद्युत चुंबकीय तरंगों (electromagnetic waves) के रूप में बदलकर किसी एंटीना द्वारा आकाश में प्रसारित किया जाता है, एवं उन तरंगों को प्राप्तकर्ता के रिसीवर द्वारा रिसीव किया जाता है और उसे डिकोड करके मूल सूचना में बदल लिया जाता है।

Wireless Transmission Media को Un-guided Media, Un-bounded Media, Boundless Media, Wireless Media आदि नामों से भी जाना जाता है।

सामान्यतः वायरलेस उपकरण डेटा के संचरण के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव के रूप में radio wave या infrared wave का प्रयोग करते हैं।

उदाहरण –

रेडियो एवं टेलीविजन द्वारा वॉयरलैस ट्रांसमिशन का ही उपयोग किया जाता है।

अन्य उदाहण – Wi-Fi, Bluetooth, Cellular Network, satellite communication आदि।


 

Wired Transmission Media के प्रकार – तार युक्त संचार माध्य्यम के प्रकार

  1. Twisted Pair Cable
  2. Co-axial Cable
  3. Fiber Optic Cable अथवा optical fiber

Twisted Pair Cable अथवा Standard Telephone Line

यह परस्पर लिपटे हुए तारों का युग्म होता है।

ट्विस्टेड पेयर केबल एक प्रकार का सबसे सस्ता संचार माध्यम है। यह केबल दो तांबे (copper) के तारों द्वारा बनी होती है जिन पर विभिन्न रंगों की कुचालक (insulator) की परत चढ़ी होती है। इन दोनों तारों को आपस में ट्विस्ट कर दिया जाता है अर्थात ये दोनों तार आपस में गुँथे हुए (एक दूसरे में घूमे हुए) होते हैं, इसी कारण इस केबल को ट्विस्टेड पेयर केबल कहते हैं।

Twisted Pair cable

तारों को आपस में twist करने का मुख्य कारण – electromagnetic interference (noise) एवं cross talk को कम करना होता है। यह इन्टरफेरेन्स (हस्तक्षेप) इलेक्टॉनिक सिग्नल्स को बिगाड़ सकते हैं। और उनकी गुणवत्ता कम कर सकते हैं, परंतु ट्विस्टेड पेयर केबल इसे रोकने में मदद करता है एवं better व reliable सिग्नल क्वॉलिटी प्राप्त होती है।

इस तार का सर्वाधिक उपयोग टेलीफोन लाइंस के लिए किया जाता है इसी कारण से स्टैंडर्ड टेलीफोन लाइन भी कहते हैं।

Computer से telephone line को connect करने के लिए modem का प्रयोग किया जाता है।

 

Twisted Pair Cable के लाभ

  • व्यापक उपयोग।
  • उपयोग में आसान।
  • छोटी दूरी के लिए सबसे सस्ता संचार माध्यम।
  • टूटने पर जोड़ना सरल है।
  • बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
  • यह एनालॉग एवं डिजिटल दोनों तरह के data का ट्रांसमिशन कर सकती है।

Twisted Pair Cable के हानि

  • Electromagnetic Interference (EMI) होने की संभावना, परिणाम स्वरुप विभिन्न प्रकार की संचार त्रुटि (जैसे – noise, signal degradation अथवा पूरी तरह से संचार का बंद होना) होती है।
  • यदि इस केबल का एक भाग खराब हो जाता है तो पूरा नेटवर्क बंद हो जाता है।
  • ज्यादा बड़ी दूरी के लिए बेहतर नहीं है।
  • आसानी से हाथ से तोड़ी जा सकती है। अ‍त: यह केबल सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर होती है।

 

उपयोग

  • Telephone Lines
  • Ethernet Networking – घर, ऑफिस आदि में LAN स्थापित करने के लिए।
  • Intercom (Inter Communication) टेलिफोन सिस्टम में।

 

Types Twisted Pair Cable – ट्विस्टेड पेयर केबल के प्रकार

Un-shielded एव Shielded Twisted Pair Cable दो प्रमुख तरह की Twisted Pair Cable हैं –

Un-shielded Twisted Pair Cable (UTP)

यह सबसे सामान्य प्रकार की ट्विस्टेड पेयर केबल है जो सामान्यतः टेलीफोन लाइंस, इथरनेट नेटवर्किंग आदि में प्रयोग की जाती है। इस केबल में Electromagnetic Interference (EMI) को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षात्मक परत (shield) नहीं चढ़ी होती है।

Shielded Twisted Pair Cable (STP)

ऐसी ट्विस्टेड पेयर केबल जिसमें Electromagnetic Interference (EMI) से बेहतर बचाव के लिए प्रत्येक तारों के जोड़े में एक अतिरिक्त सुरक्षात्मक परत (shield) चढ़ी होती है।

 

Note – Electromagnetic Interference (EMI) – एक प्रकार का संचार अवरोध (noise) है जो कम्युनिकेशन सिस्टम अथवा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को disrupt करता है अर्थात अप्रभावी करता है।


Co-axial Cable – को-एक्सियल केबल

ट्विस्टेड पेयर केबल का मुख्य दोष यह है कि यह cable सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर होती है, इन्हें कोई भी आसानी से तोड़ सकता है और टूटने पर डेटा का संचार नहीं हो पाता है। इस कमी को दूर करने के लिए को-एक्सियल केबल का प्रयोग किया जाता है।

coaxial cable

को-एक्सियल केबल एक उच्च गुणवत्ता का संचार माध्यम है। इस केबल के केंद्र में एक ठोस तांबे का तार (central Copper Conductor) होता है जिसमें वास्तविक data का ट्रांसमिशन होता है। यह ठोस तांबे का तार एक कुचालक (insulating layer) से चारों तरफ से घिरा होता है, इस कुचालक के चारों तरफ धातु की जाली (तार की जाली – conducting shield) बनी होती है, जिसके ऊपर एक और कुचालक की परत (outer jacket) चढ़ी होती है।

Wire mesh (धातु की जाली) का मुख्य कार्य data transmission को Electromagnetic Interference (noise) से बचाना है।

इस संचार माध्यम का प्रयोग भी एनालॉग एवं डिजिटल डेटा ट्रांसमिशन के लिए किया जा सकता है। को-एक्सियल केबल, twisted pair cable की तुलना में मजबूत होती है एवं इनकी स्पीड एवं डेटा ट्रांसमिशन की क्षमता भी ज्यादा होती है अर्थात यह केबल उच्च बैडंविड्थ प्रदान करती है। साथ ही यह बेहतरीन noise immunity को रखती है, अर्थात इसमें electromagnetic interference (noise) या अन्य प्रकार के अवरोधों का ज्यादा असर नहीं पड़ता है।

उपयोग –

  • Television Network में DTH service के लिए।
  • Computer Network (LAN आदि में)।
  • CCTV System में।
  • High-Speed Broadband Internet connection में।
  • RF transmission.

 

Co-axial Cable के लाभ

  • लंबी दूरी के नेटवर्क के लिए उपयोगी।
  • मजबूत, आसानी से नहीं तोड़ा जा सकता है। ज्यादा सुरक्षित है।
  • बेहतर बैडंविड्थ।
  • Noise (संचार अवरोधों) से ज्यादा सुरक्षित।
  • इसका प्रयोग एनालॉग एवं डिजिटल डेटा ट्रांसमिशन दोनों के लिए किया जा सकता है।

 

Co-axial Cable के हानि

  • ट्विस्टेड पेयर की तुलना में महंगी होती है।
  • इनका भार भी ट्विस्टेड पेयर की तुलना में ज्यादा होता है।
  • कम दूरी के लिए यह केबल twisted pair cable की तुलना में महंगी पड़ती है।
  • अत्यधिक लंबी दूरी के लिए इस केबल का data transmission rate कम हो जाता है।

 

Types of Co-axial Cable | को-एक्सियल केबल के प्रकार

दो प्रकार –

  1. Baseband Co-axial Cable
  2. Broadband Co-axial Cable

 

Baseband Co-axial Cable –

बेसबैंड को-एक्सियल केबल अक्सर baseband network (narrowband networks) में प्रयोग की जाती है।

Baseband Network वे नेटवर्क होते हैं जहां communication media (cable) की सम्पूर्ण bandwidth एक single channel (single path) के रूप में प्रयोग की जाती है।

अर्थात वह नेटवर्क जिसमें डिजिटल सिग्नल (digital data) एक सिंगल कम्युनिकेशन चैनल में संचरित होते हैं, बेसबैंड नेटवर्क कहलाता है। सामान्यत: यह digital signal transmission के लिए प्रयोग किया जाता है, एवं कम एवं मध्यम दूरी के लिए उपयोगी है।

इनका प्रयोग Ethernet networking (LAN), cable television network, CCTV system आदि में किया जाता है।

Broadband Co-axial Cable –

ब्रॉडबैंड को-एक्सियल केबल का इस्तेमाल अक्सर broadband network में किया जाता है।

Broadband Network, वे नेटवर्क होते हैं जहां communication media (cable) की सम्पूर्ण bandwidth कई चैनलों (multiple channels) में विभाजित कर दी जाती है, और प्रत्येक sub channel अलग-अलग communication media के रूप में व्यवहार करते हैं।

अर्थात broadband network में data को संचारित (transmit) करने के लिए कई path होते हैं, जिससे यह नेटवर्क विभिन्न प्रकार के बहुत सारे data को उच्च गति के साथ ट्रांसमिट कर सकता है।

इनका प्रयोग high speed Internet connection, television signal, computer network आदि के लिए किया जाता है। एवं यह लम्बी दूरी के संचार के लिए उपयुक्त है।


Fiber optic cable – प्रकाशीय तन्तु संचार माध्यम

या Optical Fiber Cable

यह कंप्यूटर संचार माध्यम की सबसे नई तकनीक है। इसमें धातु के तारों की जगह, विशिष्ट प्रकार के ग्लास या प्लास्टिक से बने हुए रेशों (fibers) का उपयोग डेटा संचार के लिए किया जाता है।

यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) के सिद्धांत पर कार्य करता है।

fiber optical cable

Basic structure of fiber optical cable
The basic structure of fiber optical cable

 

इसमें प्रत्येक रेशा, बाल के समान होता है और यह संचार माध्यम, डेटा/सूचना का ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के रूप में नहीं, बल्कि प्रकाशीय सिग्नल (light signals) के रूप में करता है।

इसमें डेटा के संचारण के लिए उसे प्रकाश पुंज (light beam) में परिवर्तित किया जाता है तथा इस प्रकाश पुंज को लेज़र डिवाइस की मदद से करोड़ों बिट्स प्रति सेकंड की गति से ट्रांसमिट किया जाता है।

यह मीडिया, धातु की तुलना में हल्की और आकार में कम होती है और high bandwidth, fast speed एवं विश्वसनीयता प्रदान करती है।

इसकी डेटा संचरण क्षमता co-axial cable से लगभग 10 गुना अधिक होती है और भार लगभग 20 गुना कम होता है।

इसके मुड़ने आदि से संचार में कोई भी अवरोध उत्पन्न नहीं होता है। इसको उपयोग करना आसान है एवं यह Electromagnetic Interference (noise) से प्रभावित नहीं होता है।

सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत केबल है। इसे आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है। यह छोटी दूरी एवं लंबी दूरी दोनों के लिए उपयुक्त है।

पुराने समय में fiber optic cable का इस्तेमाल करके FDDI Network ( Fiber Distributed Data Interface Network) तैयार किया जाता था। यह एक हाई स्पीड लोकल एरिया नेटवर्क है। जो 1980, 90 के दशक में प्रयोग किया जाता था।

 

Components of Fiber Optic Cable

फाइबर ऑप्टिक केबल मुख्य रूप से तीन घटकों से मिलकर बनी होती है –

  1. Inner core (Optical fiber core)
  2. Cladding
  3. Protective outer plastic jacket

Inner core (Optical fiber core) –

यह सबसे अंदर का भाग है जो optical fiber core कहलाता है एवं प्लास्टिक या ग्लास के बारीक रेशों द्वारा बना होता है। इसी में वास्तविक डेटा का संचरण, प्रकाश (light) के रूप में होता है।

Cladding –

यह एक ऑप्टिकल बाउंड्री है जो inner core के चारों ओर एक आवरण है, जिसमें core की तुलना में कम refractive index (अपवर्तन सूचकांक) होता है। एवं यह total internal reflection (पूर्ण आंतरिक परावर्तन) के माध्यम से inner core में प्रवाहित होने वाले Light signals को एक बाउण्ड्री की तरह रोककर रखता है उसे बाहर नही जाने देता है एवं उनका कुशलतापूर्वक मार्गदर्शन करता है, जिसकी वजह से light signals इनर-कोर में ही प्रवाहित होते हैं, और signals loss नही होता है, परिणामस्वरूप data transmission की high speed प्राप्त होती है।

Protective outer plastic jacket –

सबसे बाहर की सुरक्षात्मक परत होती है जो प्लास्टिक से बनी होती है। यह inner core व cladding के चारों तरफ एक सुरक्षात्मक परत होती है जो इनको मुड़ने, झुकने, खिंचाव एवं पर्यावरणीय कारकों से अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है।

 

उपयोग –

  • Telecommunications – लंबी दूरी में फोन एवं टेलीविजन सिग्नल के संचरण के लिए।
  • High-speed Internet Connection
  • Networking
  • Medical Imaging जैसे – Endoscopy आदि।

 

Fiber optic cable के लाभ

  • High Bandwidth
  • High speed Communication media
  • Lightweight
  • EMI (Electromagnetic Interference) से प्रभावित नहीं होती है।
  • अन्य cables की अपेक्षा मजबूत होती है, जिसे आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है।
  • लंबी दूरी के लिए सर्वाधिक उपयुक्त।

 

Fiber optic cable के हानि –

  1. अन्य cables की अपेक्षा महंगी है।
  2. दो तारों को परस्पर जोड़ना कठिन होता है।

 

Wireless Transmission Media के प्रकार – ताररहित संचार माध्यम

वायरलेस ट्रांसमिशन चैनल – Wireless Transmission Channels

Connectionless Transmission

वायरलेस उपकरण निम्न प्रकार की तरंगों द्वारा सूचना का संप्रेषण करते हैं –

या

Wireless Transmission निम्न प्रकार के होते हैं –

अथवा

Wireless communication media में electromagnetic waves (energy) के निम्न रूपों का प्रयोग संचार माध्यम के लिए होता है –

  1. Radio waves
  2. Microwave
  3. Infrared waves
  4. Laser या light wave
  5. Satellite transmission

Radio waves communication –

Radio waves – यह electromagnetic radiation (विद्युतचुम्बकीय विकिरण) का एक प्रकार है, जो विभिन्न प्रकार के data के संचार के लिए radio frequency रेन्ज वाली electromagnetic waves का इस्तेमाल करती है।

यह छोटी एवं लंबी दूरी पर वायरलेस संचार की सुविधा प्रदान करती है।

ये तरंगे हवा (space – आकाश) में ट्रेवल करती है और ठोस चीजों जैसे दीवारों को भेद सकतीं हैं इसलिए इन्हें indoors व outdoors दोनों जगहों पर इस्तेमाल किया जा  सकता है।

Electromagnetic स्पेक्ट्रम में radio waves की तरंगदैर्ध्य, इन्फ्रारेड वेव से अधिक लम्बी होती है।

उपयोग –

  • Radio Broadcasting
  • Television Broadcasting
  • Cellular Communication (Mobile Devices)
  • Wi-Fi
  • Bluetooth
  • Radar (Radio Detection and Ranging)
  • GPS
  • Satellite communication
  • Wireless networking
  • Medical Imaging (MRI) एवं Radio therapy कैंसर के इलाज के लिए। आदि।

 

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम की वे आवृत्तियां जिन पर रेडियो सिग्नल्स का संप्रेषण किया जाता है रेडियो आवृत्तियां (radio frequency) कहलाती हैं।

Radio waves की आवृत्ति (frequency) 3 KHz से 300 GHz के बीच होती है। इनको आसानी से जनरेट किया जा सकता है। यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव का एक प्रकार है।

 

Microwave transmission  – (microwave)

माइक्रो वेव, radio wave का ही एक subset (प्रकार) है। अर्थात यह कम तरंगदैर्ध्य एवं उच्च आवृत्ति वाली रेडियो वेव ही है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम की वे आवृतियां जिन पर microwave signals का संप्रेषण किया जाता है, माइक्रोवेव आवृत्तियां कहलाती हैं।

माइक्रोवेव ट्रांसमिशन में सभी प्रकार के data जैसे टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडियो आदि को माइक्रोवेव के रूप में परिवर्तित करके ट्रांसमिट किया जाता है। इस ट्रांसमिशन में डेटा send एवं receive एंटीना के माध्यम से किया जाता है। ये एंटीना (antenna), दिशात्मक एंटीना (Directional Antenna) होते हैं अर्थात केवल एक ही दिशा में डेटा को प्रेषित करते हैं।

Directional Antenna विशेषकर long distance communication links, point to point communication एवं satellite communication के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।

इस संचार में डेटा सीधी रेखा में गमन (ट्रेवल) करते हैं। लंबी दूरी में data/signals को भेजने के लिए रिपीटर की मदद से एम्प्लीफाई करके भेजा जाता है।

यह उच्च बैण्डविड्थ एवं तेज स्पीड प्रदान करता है। पर बारिश, बर्फ, बादल, धूल अर्थात खराब मौसम (वातावरण) से प्रभावित होता है।

माइक्रोवेव की तरंगदैर्ध्य (wave length) लगभग – 1 meter से 1 millimeter

एवं आवृत्ति (frequency) – 300 MHz (megahertz) से 300 GHz (gigahertz) तक होती है।

 

उपयोग –

  • Tele communication network
  • Satellite communication (Satellite TV एवं Radio Broadcasting, Satellite Internet Services, GPS)
  • Wireless communication – Bluetooth, Wi-Fi, एवं लघु दूरी (short range) के संचार के लिए सेलुलर नेटवर्क
  • Radar system
  • Microwave oven
  • Medical imaging आदि।

 

Infrared Waves अथवा Infrared Light

Infrared Waves को heat waves के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मानव शरीर गर्मी के रूप में अवरक्त विकिरण (Infrared radiation) ही उत्सर्जित करता है। यह विकिरण विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का एक हिस्सा है और नग्न आंखों (naked eyes) के लिए दृश्यमान नहीं है। इनका प्रयोग short range communication (कम दूरी के संचार) के लिए किया जाता है।

इनकी wave length 700 नैनोमीटर से 1 मिलीमीटर एवं frequency – 300 gigahertz (GHz) से 400 terahertz (THz) तक होती है।

 

उपयोग –

  • Remote controls (TV, DVD player, AC आदि के रिमोट कंट्रोल में)
  • Thermal imaging (night vision infrared security camera आदि में)
  • Communication devices जैसे – स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर (short range data transmission के लिए)
  • Environmental monitoring (सागर, जमीन की सतह, वातावरण आदि का तापमान मापने के लिए) आदि।

 

Laser या light wave

लेज़र, डेटा संप्रेषण के लिए प्रकाशीय तरंगों ((light waves) का प्रयोग करतें हैं। इनका उपयोग optical wireless devices द्वारा संचार करने के लिए किया जाता है, जहां data को प्रकाश किरणों (light beam अथवा laser beam) के माध्यम से तेजी से भेजा जाता है।

इनका उपयोग –

  • Satellite
  • Space craft
  • Aircraft
  • Under water vehicles

आदि द्वारा डेटा संचार करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण –

  • Li-Fi (Light Fidelity)
  • Inter-satellite Links (ISL) मतलब आन्तरिक्ष में उपग्रहों के बीच संचार स्थापित करने के लिए laser का इस्तेमाल करते हैं।

उपग्रह संचार माध्यम (Satellite Communication) – उपग्रह संचार

उपग्रह संचार, पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले मानव निर्मित उपग्रह द्वारा विभिन्न प्रकार के डेटा को लंबी दूरी में प्रसारित करने की विधि है।

यह कम लागत में तीव्र गति से डेटा का संचार करता है।

संचार उपग्रह को पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में छोड़ दिया जाता है एवं पृथ्वी की एक कक्षा (orbit) में स्थापित कर दिया जाता है। ये पृथ्वी की गति से ही पृथ्वी के चारों तरफ घूमते हैं।

संचार स्थापित करने के लिए जमीन पर स्थित स्टेशन (ground station) से एंटीना द्वारा अंतरिक्ष में उपस्थित उपग्रह को radio waves के माध्यम से data/signals भेजा जाता है। उपग्रह उन सिग्नल्स को amplify (विस्तार) करके जमीन पर स्थित दूसरे स्टेशन को, जो हजारों किलोमीटर की दूरी पर हो सकते हैं, वापस भेजता है, जिन्हें उस दूसरे स्टेशन के एंटीना द्वारा ग्रहण किया जाता है। यह प्रक्रिया विशाल डेटा के समूह को लंबी दूरी में तीव्र गति से भेजने की अनुमति देती है।

Satellite Communication

उपयोग –

  • Radio एवं TV Broadcasting
  • GPS
  • रिमोट (दूरदराज) एरिया में इन्टरनेट एवं फोन सेवा प्रदान करने के लिए।
  • मौसम का पूर्वानुमान लगाने में।
  • जहाजों एवं विमानों के नेविगेशन (मार्गनिर्देशन), संचार एवं ट्रैकिंग में सहायता करने के लिए
  • Scientific Research में।
  • प्राकृतिक आपदाओं के समय में संचार की सुविधा प्रदान करना।
  • रिमोट सेन्सिग
  • मौसम पूर्वानुमान (मौसम की भविष्यवाणी) करने में, कृषि (खेती) को मॉनिटर करने में, आपदा प्रबंधन आदि के लिए पर्यावरणीय डेटा (environmental data) प्राप्त करने में।

उपग्रह संचार के माध्यम से वे क्षेत्र जो काफी पिछड़े हैं, विकसित नहीं है , मुख्य शहर से काफी दूर हैं, पर्वत-पहाड़ पर बसें हैं जहां संचार के अन्य माध्यम नहीं पहुंच पाते, वहां पर भी संचार सुविधा (Internet, Phone, Radio, TV आदि) को पहुंचाना संभव हो जाता है।


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