रोम क्या है? एवं रोम के प्रकार – What is ROM in Hindi

रोम क्या है? | ROM Kya Hai | What is ROM in Hindi

रोम क्या होता है? और उसके प्रकार |

ROM Kya Hai – ROM की परिभाषा

रोम कम्प्यूटर की मुख्य अथवा प्राथमिक मेमोरी (Main अथवा Primary memory) होती है, जिसका पूरा नाम Read Only Memory होता है।

यह सिलीकॉन से बनी, एक सेमीकंडक्टर चिप होती है, जिसमें डेटा व प्रोग्राम्स स्थायी तौर पर स्टोर होते हैं।

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि, यह एक ऐसी प्रायमरी मेमोरी है, जिसमें संग्रहित डेटा व निर्देशों को, केवल पढ़ा जा सकता है, उन्हें परिवर्तित (edit या alter) या delete (नष्ट) नही किया जा सकता है।

यह एक स्थायी मेमोरी (permanent memory) है, जिसमें संग्रहित डेटा व प्रोग्राम, विद्युत सप्लाई न होने पर, अथवा कम्प्यूटर बन्द होने पर भी नही मिटते हैं, वो ज्यों के त्यों ही रहते हैं। यही वजह है कि ROM को Non-Volatile memory (नान वोलेटाइल मेमोरी) भी कहते हैं।

यह Computer के मदरबोर्ड में एक सिलीकॉन चिप (silicon chip) के रूप में fix रहती है।

ROM के उपयोग | Uses of ROM in Hindi

कम्प्यूटर निर्माण के समय में ही, ROM में कुछ माइक्रो (छोटे) प्रोग्राम्स जैसे – POST (Power on self test), BIOS (Basic Input Output System) आदि स्थायी तौर पर संग्रहित कर दिये जाते हैं। जो कि कम्प्यूटर के on होने पर, उसकी सभी Input devices एवं Output devices को test और नियंत्रित करते हैं, साथ ही कम्प्यूटर की बूटिंग प्रोसेस को भी मैनेज व नियंत्रित करते हैं। और आवश्यकता होने पर, यूजर को समय-समय पर निर्देश भी देते रहते हैं।

अर्थात कम्प्यूटर को बूट करने से सम्बन्धित, समस्त निर्देश ROM में ही संग्रहित रहते हैं। जो कि computer के बूट (चालू) होने तथा operating system (OS) को RAM में लोड करने की प्रक्रिया को सम्पन्न करते हैं।

रोम एक I.C. chip (Integrated circuit chip) के रूप में होती है।

रोम के प्रकार | Types of ROM in Hindi

ROM (Read Only Memory) निम्न प्रकार की होतीं हैं-

  1. P ROM या PROM (प्रोम) – प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी
  2. E-PROM या E-P-ROM या EP-ROM – इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी
  3. EE-PROM या EEP-ROM – इलेक्ट्रिकली इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी

Types of ROM in Hindi

P ROM या PROM (प्रोम)

इसका पूरा नाम प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Programmable Read Only Memory) है।

यह सबसे साधारण प्रकार की रोम है। इस प्रकार की रोम चिप में, केवल एक बार ही किसी भी डेटा या प्रोग्राम को संग्रहित किया जा सकता है।

डेटा या प्रोग्राम को संग्रहित करने के बाद, ना तो उसे परिवर्तित किया जा सकता और ना ही उसे मिटाया जा सकता है। केवल पढ़ा जा सकता है।

हमारे कंप्यूटर में बॉयोस प्रोग्राम (BIOS Program), पोस्ट प्रोग्राम (POST Program) आदि प्रकार के माइक्रो (छोटे) प्रोग्राम इसी प्रकार के रोम चिप में संग्रहित किए जाते हैं।

हानि – इस प्रकार की रोम में संग्रहित हुए प्रोग्राम में, यदि किसी कारण बस त्रुटि हो जाती है, तो यह पूरी की पूरी रोम चिप ही बेकार हो जाती है। क्‍योंकि इसमें किसी भी प्रकार का सुधार संभव नही होता है।

प्रोम में केवल एक ही बार प्रोग्राम व डेटा संचित कर सकते हैं। अ‍र्थात दुबारा नही किया जा सकता है।

प्रोम प्रोग्रामर या प्रोम प्रोग्राम बर्नर – प्रोम मेमोरी में सूचनाओं को स्टोर या बर्न करने का काम, एक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है, जिसे प्रोम प्रोग्रामर या प्रोम बर्नर कहते हैं।

इस प्रकार रोम में केवल एक बार प्रोग्राम स्टोर या बर्न किया जा सकता है, फिर बाद में किसी भी प्रकार का सुधार संभव नहीं है।

E-PROM या E-P-ROM या EP-ROM

इसका पूरा नाम इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Erasable Programmable Read Only Memory) है।

इसे E-PROM या E-P-ROM या EP-ROM भी कहते हैं।

E-PROM या EP-ROM, एक इस प्रकार की रोम है, जिसमें स्टोर डेटा व प्रोग्राम को मिटाया जा सकता है।

इसमे डेटा व प्रोग्राम को स्थाई तौर पर संग्रहित कर दिया जाता है। इन डेटा व प्रोग्राम को संग्रहित करने का कार्य, एक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है जिसे ई-प्रोम प्रोग्रामर या ई-प्रोम प्रोग्राम बर्नर कहते हैं।

एक बार स्टोर किए गए डेटा व प्रोग्राम को केवल रीड किया जा सकते है। यदि किसी तरह की editing या Alteration (परिवर्तन) करना चाहते हैं, तो ये सब संभव नही है।

पर इसमें, एक विशेष डिवाइस के द्वारा लगभग 10 से 20 मिनट तक अल्ट्रावॉयलेट रेज (पराबैगनी किरणों) को डालकर, इसमें पहले से स्टोर डेटा व प्रोग्राम को मिटाया जा सकता है, और दूसरे डेटा व प्रोग्राम को संग्रहित करने के लिए यह पूर्णत: खाली हो जाती है।

यही वजह है कि ईप्रोम को अल्ट्रावायलेट ईप्रोम (Ultra-violet E-PROM) भी कहते हैं।

ई-प्रोम में जब अल्ट्रावॉयलेट रेज डाली जाती है, तब इसमें संग्रहित, सारा डेटा और प्रोग्राम मिट जाता है और यह पूरी तरह खाली हो जाती है।

पर इसमें प्राब्लम यह है‍ कि, अगर प्रोग्राम के किसी विशेष हिस्से या भाग में किसी तरह का परिवर्तन करना चाहते हैं, तो इसमे यह संभव नहीं है।

EE-PROM या EEP-ROM

EE-PROM का पूरा नाम इलेक्ट्रिकली इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory) है।

इसमे भी  डेटा व प्रोग्राम स्थाई तौर पर ही स्टोर होते हैं।

इसमे डेटा व प्रोग्राम को संग्रहित करने का कार्य, एक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है जिसे ई-प्रोम प्रोग्रामर या ई ई-प्रोम प्रोग्राम बर्नर कहते हैं।

परंतु इसमें एक बार संग्रहित डेटा व प्रोग्राम के विशेष हिस्से में भी editing या alteration (सुधार या परिवर्तन) किया जा सकता है।

ई ई-प्रोम में डेटा व प्रोग्राम को परिवर्तित करने के लिए high voltage के विद्युत सिग्नल (electrical signal) की आवश्यकता होती है। खास बात यह है कि इसमें विद्युत सिग्नल की सहायता से मेमोरी के किसी भी हिस्से या लोकेशन की जानकारी को परिवर्तित कर सकते हैं।

EE-PROM का उपयोग आजकल कंप्यूटरो की बायोस (BIOS-Basic Input-Output System) प्रोग्राम को संग्रहित करने के लिए किया जाता है। ताकि इस प्रकार की रोम में संग्रहित बायोस प्रोग्राम को आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सके। मतलब कम्प्यूटर निर्माताओं की वेबसाइट पर online जाकर अपडेट (update) किया जा सके।


प्रश्न – ROM का फुलफार्म क्या होता है?

उत्तर – ROM का फुलफार्म रीड ओन्ली मेमोरी (Read Only Memory) होता है।

प्रश्न – क्या रोम एक फर्मवेयर है।

उत्तर – हॉं – ROM एक फर्मवेयर है।

फर्मवेयर (Firmware) Software / Program एवं Hardware का मिश्रण फर्मवेयर कहलाता है।

ROM Kya Hai

चूँकि ROM में Programs जैसे BIOS आदि स्थायी रूप से संग्रहित होते हैं, और ROM खुद एक सिलीकॉन से बनी hardware memory है, अत: इसके इस software व hardware के मिश्रण को firmware (फर्मवेयर) के नाम से जाना जाता है।


 

I hope, आपको यह आर्टिकल – रोम क्या है? एवं रोम के प्रकार – What is ROM in Hindi  जरूर पसंद आया होगा।

 

अगर आपको ये आर्टिकल पसन्द आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ WhatsApp, Facebook आदि पर शेयर जरूर करिएगा। Thank you!

Leave a Comment

error: Content is protected !!